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धूपम केक से हवा में मरेगा कोरोना वायरस! उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय का दावा - उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय का दावा

उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय ने हवा में कोरोना के वायरस को मारने के लिए रामबाण तरीका इजाद करने का दावा किया है. धूपम प्रक्रिया के हवा में वायरस को मारकर पूरे वातावरण को सुरक्षित बनाया जा सकता है.

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उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय का दावा

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Published : Jul 27, 2020, 10:45 PM IST

देहरादून: कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच तमाम फार्मा कंपनियों ने कोरोना से लड़ने की दवा बनानी शुरू कर दी है. कोरोना वायरस से बचाव के लिए अब तक कई मौजूदा दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है. वैज्ञानिक पिछले 6 महीनों में मरीजों को बचाने में कभी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन तो कभी बीसीजी दवा कोरोना का रामबाण इलाज बता चुके हैं. इन सबके बीच उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में हवा में कोरोना के वायरस को मारने के लिए एक रामबाण तरीका इजाद करने का दावा किया है.

धूपम केक से हवा में मरेगा कोरोना वायरस!.

उत्तराखंड आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सुनील कुमार जोशी बताया कि एक शोध के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि हवा से भी कोरोना वायरस संक्रमण फैलने की संभावना है. ऐसे में घर और पूरे परिसर को बैक्टीरिया मुक्त बनाने के लिए आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में एक औषधीय गुणों वाला धूपम केक बनाया है. जिससे एक बार इस्तेमाल कर आगामी 48 घंटे तक के लिए परिसर को वायरस मुक्त बनाया जा सकता है.

ईटीवी भारत से बातचीत में सुनील कुमार जोशी ने कहा कि कई औषधियों और जड़ी-बूटियों के साथ देसी गाय के शुद्ध गोबर को मिलाकर इस धूपम केक को बनाया गया है. उन्होंने बताया कि भारत देश के पौराणिक इतिहास में धूपम प्रक्रिया के तहत अनादि काल से अपने आसपास के परिसर को स्वच्छ करने का काम किया जाता रहा है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से पौराणिक काल से हवन प्रक्रिया के तहत तमाम जड़ी-बूटी और औषधियों की आहुति से आसपास का वातावरण शुद्ध होता था. उसी तरह से आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय द्वारा एक इस तरह के धूपम का निर्माण किया गया है जोकि कोरोना वायरस को खत्म करता है. हालांकि सुनील कुमार जोशी ने धूपम केक में इस्तेमाल होने वाली औषधियों का जिक्र नहीं किया.

उत्तराखंड आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सुनील कुमार जोशी के मुताबिक धूपम केक का प्रयोग कर किसी भी परिसर को 48 घंटे तक संक्रमण मुक्त रखा जा सकता है. विश्वविद्यालय ने धूपम केक के वैज्ञानिक परीक्षण भी कराए गए हैं. साथ ही केक से सुगंधित करने के लिए कई तरह के सुगंधित पुष्पों का इस्तेमाल किया गया है.

आयुर्वेद में धूपम का जिक्र

आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. सुनील कुमार जोशी ने बताया कि धूपम प्रक्रिया हमारे लिए कोई नई प्रक्रिया नहीं है. हम अमूमन घरों में लोगों को धूप जलाते और हवन जैसी तमाम पूजा-अर्चना करते देखा है. लेकिन इस तरह की पूजा का सिर्फ दैवीय महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक पहलू भी है. औषधियों और जड़ी-बूटियों को जब धूपम प्रक्रिया के तहत जलाया जाता है तो उससे हमारे वातावरण में मौजूद सभी प्रकार के वायरस मर जाते हैं. ऐसे में धूपम केक हवा में कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.

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