देहरादून: कहते हैं बदलाव के लिए दावे-वादों से बढ़कर नीयत होनी चाहिए, ये नीयत ही थी जिसमें पहले के राजनेताओं को इतिहास में अमर किया है, ये कुछ कर गुजरने की नीयत ही थी जिसने देश को आगे बढ़ाने में मदद की है, लेकिन आज के दल-बदल और राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के दौर में यह सच्ची नीयत कहीं खो गई है. आज बचा है तो बस एक दूसरे पर आरोप लगाना, राजनीतिक स्तर को गिराना और जनता को लोक-लुभावने झूठे वादों के फेर में फंसाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना. ये बात हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज से ठीक एक हफ्ते बाद उत्तराखंड की जनता अपने पांच साल के भविष्य को तय करेगी, आज के एक हफ्ते बाद यानी अगले सोमवार 14 फरवरी को देवभूमि उत्तराखंड की जनता अपने लिए अपने जनप्रतिनिधि चुनेगी और इसलिए देवभूमि की जनता इन 'माननीयों' की असल नीयत टटोलने में व्यस्त है. इस 'नीयत' को हम आगे विस्तार से समझेंगे...
उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च को खत्म हो जाएगा, उससे पहले 10 मार्च को तय हो जाएगा कि पहाड़ी राज्य में किसकी सरकार बनेगी. बीजेपी इतिहास बदलने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है तो कांग्रेस फिर से सत्ता वापसी के लिए अपने घोड़े दौड़ा रही है. बीजेपी की चुनावी प्रचार को धार लगाने की जिम्मेदारी खुद प्रधानमंत्री मोदी ने संभाली हुई है. पीएम ने आज प्रदेश की जनत से वर्चुअली जुड़ते हुए वोट अपील तो की ही साथ ही 'मुस्लिम यूनिवर्सिटी' विवाद को भी मुद्दा बना दिया.
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दरअसल, आज पीएम हरिद्वार-देहरादून की जनता को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि, कांग्रेस पार्टी का प्रदेश को लेकर ऐसा रवैया रहा है कि पहले तो वो खुद अच्छा नहीं करना चाहते और कोई दूसरा अच्छा काम कर दे तो उनके पेट में दर्द होने लगता है. पीएम ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का उदाहरण देते हुए डबल इंजन सरकार के फायदों को गिनाया. साथ ही इस बार के बजट में उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए 'पर्वतमाला परियोजना' की बात भी की. उन्होंने कहा कि, इससे पहाड़ों पर विकास के नए युग का आरंभ होने जा रहा है.
जहां एक ओर पीएम मोदी ने दिल्ली से मोर्चा संभाला हुआ था वहीं उनके सिपाही उत्तराखंड के कोने-कोने में फैले हुए थे. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कुमाऊं में डेरा डाला हुआ था और फायर ब्रांड नेता शिवराज सिंह चौहान गढ़वाल को साधने में जुटे थे. दोनों ही नेताओं ने कांग्रेस पर हमला करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. नड्डा ने सीधे कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उसे परिवारिक पार्टी करार दे दिया. नड्डे ने कहा कि, कांग्रेस अब केवल भाई-बहन की पार्टी हो गई है. यहां तक कि राहुल गांधी को तो पूजा करना तक नहीं आता. वो हरिद्वार आते हैं और गंगा के घाट पर उन्हें पूजा करनी सिखाई जाती है.
उधर, शिवराज तो पूरे फॉर्म में दिखाए दिए. उनके तरकश से कांग्रेस पर एक के बाद एक प्रहार होते रहे. गढ़वाल मंडल की अलग-अलग विधानसभाओं में चुनाव प्रचार करने के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को राहु और केतु बता दिया. उन्होंने कहा कि, यदि ये दोनों उत्तराखंड में आ गए तो विकास को ग्रहण लग जाएगा. इससे पहले शिवराज ने कांग्रेस के चारधाम और चारकाम पर तीखा व्यंग्य किया था. उन्होंने कहा था, कांग्रेस के चारधाम सोनिया गांधी, बाबा राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और राबर्ट वाड्रा हैं. वो उससे आगे कुछ नहीं सोच सकते. जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे तो वे भी इन्हीं धामों के गुण गाते थे.
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हालांकि, उनके इस तंज का जवाब भी हरीश रावत ने तीखे लहजे में दिया है. हरीश रावत का कहना है कि, मुख्यमंत्री पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति को इस तरह की गैर जिम्मेदाराना बात नहीं कहनी चाहिए, जिस तरह से शिवराज ने चारधाम को लेकर टिप्पणी की है. उनका कांग्रेस और अपनी प्रतिद्वंदी पार्टी के लिए इस तरह का बयान देना लोकतंत्र का अपमान है.
भले ही हरीश रावत कुछ भी कहें लेकिन क्या फर्क पड़ने वाला है, क्योंकि तंज कसने में तो हरीश रावत भी किसी से कम नहीं है. क्या फर्क पड़ जाएगा किसी नेता का किसी दूसरे नेता को कुछ कह देने भर से, क्योंकि आजकल की राजनीति में तो यह 'कॉमन' बात है. अपने विपक्षी का अपमान करना, उनको नीचा दिखाना, उन पर तंज कसना एक आम बात हो चुकी है और चुनाव पास आने के साथ-साथ तो ये गरिमा और भी धूमिल होती ही रहती है.
अब बीजेपी-कांग्रेस की बात हो रही है तो ऐसे में आम आदमी पार्टी को कैसे भूला जा सकता है. आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए तो आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद उत्तराखंड पहुंचे हुए थे. केजरीवाल ने सबसे पहले हरिद्वार से अपनी तीन दिनी दौरे का आगाज किया. केजरीवाल ने सीधे-सीधे कहा कि, उनका एक ही मकसद है उत्तराखंड से भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए, क्योंकि एक बार भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा तो बाकी चीजों के लिए अपने आप ही रास्ता बन जाएगा.