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धुर विरोधी गोदियाल और धन सिंह रावत गले मिले, किशोर ने टिहरी से किया नामांकन, जानें दिनभर की चुनावी हलचल

उत्तराखंड में इन दिनों चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है. सभी दलों के कई प्रत्याशियों ने आज आखिरी दिन अपना नामांकन करवाया. वहीं चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी, कांग्रेस और आप के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से जुड़ी दिनभर की खबरों पर एक नजर...

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जानें दिनभर की चुनावी हलचल

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Published : Jan 28, 2022, 10:56 PM IST

देहरादून: शुक्रवार 28 जनवरी 2022...आज का दिन उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए इसलिए भी बेहद खास रहा क्योंकि पहली बार देश के गृह मंत्री किसी विधानसभा चुनावों में पहाड़ों के छोटे-छोटे गांवों में चुनावी पर्चे बांटते हुए दिखाई दिए. तो वहीं आज के दिन ही उत्तराखंड कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे हरीश रावत ने लालकुआं सीट से नामांकन किया. कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत ने भी आज हरिद्वार कचहरी में अपना पर्चा दाखिल किया. इस बीच कहीं किसी का टिकट कटा तो कहीं खुशी के मारे नेता नाचते नजर आए. तो चलिए आपको बताते हैं, क्या रहा आज दिनभर उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के इस दौर में.

अपने पूर्व समय से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्राी अमित शाह आज सुबह देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे, यहां से उन्होंने चॉपर से उड़ान भरी और सीधे बाबा रुद्रनाथ की नगरी रुद्रप्रयाग पहुंच गए. चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार अमित शाह यहां कोई रैली तो नहीं कर सकते थे लिहाजा रुद्रप्रयाग की संकरी गलियों में अमित शाह बीजेपी के कुछ नेताओं के साथ घूमते हुए दिखाई दिए. इस दौरान शाह ने लोगों से न केवल मुलाकात की उनको बैनर पैम्फलेट भी बांटे और बीजेपी के काम भी गिनवाए. मौजूदा प्रत्याशी के लिए वोट भी मांगे.

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शाह ने अपने इस कार्यक्रम से पहले रुद्रनाथ मंदिर में पूजा अर्चना भी की. रुद्रप्रयाग के लोगों का कहना है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब विधानसभा चुनाव में कोई इतना बड़ा नेता गलियों मोहल्लों में घूम रहा हो. करीब डेढ़ से 2 घंटे तक रुद्रप्रयाग में घूमते शाह लोगों से मिलते रहे, संवाद भी किया और जाने से पहले पूर्व सैनिकों को केंद्र सरकार की उपलब्धियां बताना भी नहीं भूले.

इस दौरान लोगों ने अमित शाह का स्वागत फूल माला पहनाकर तो किया ही, साथ ही उनको गढ़वाली टोपी भी पहना दी. अमित शाह ने वहां पर मौजूद लोगों से वादा किया कि एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनी तो उत्तराखंड में जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं वो प्रोजेक्ट और तेजी से चलेंगे और नए प्रोजेक्ट भी धरातल पर उतरेंगे.

अमित शाह उत्तराखंड में थे, लिहाजा कांग्रेस ने बयानों के तीर चलाने के लिए दिल्ली से दो बड़े प्रवक्ताओं को देहरादून भेजा. राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और गौरव बल्लभ दोनों ने देहरादून से मोर्चा संभाला. सुरजेवाला ने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा टोपी पहन रहे हैं उससे ये कहना बिल्कुल सही होगा कि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को टोपी पहना रहे हैं जबकि कांग्रेस गढ़वाल की टोपी को अपनाने का काम करती है. दोनों ही प्रवक्ताओं ने उत्तराखंड की अलग-अलग विधानसभाओं में वर्चुअल रैली को भी संबोधित किया और नारा लगाया- बीजेपी हटाओ कांग्रेस लाओ.

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कांग्रेस ने कहा कि सैनिकों के हित पर बीजेपी सरकार ने कुठाराघात किया है. सेनाओं में 1.22 लाख से ज्यादा पद खाली है और वन रैंक वन पेंशन को मजाक बना दिया है. सरकार ने पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य योजनाओं पर भी आघात किया है, ऐसे में उत्तराखंड के सैनिक आने वाले चुनावों में बीजेपी को सबक सिखाने जा रहे हैं.

राजनीति में अगर सुचिता आ जाए तो बात ही क्या है. वैसे बीते दिनों हरक सिंह रावत को जिस तरह से कांग्रेस पार्टी ने 5 दिनों तक अपने दफ्तर के चक्कर कटवाए और हरीश रावत ने ये जताने और बताने की कोशिश की कि जो हरक सिंह रावत ने साल 2016 में उनके साथ किया था उसके बाद तो बिल्कुल भी उनकी एंट्री कांग्रेस में नहीं हो सकती, हालांकि बाद में कांग्रेस ने अपना फायदा देखते हुए न केवल उनको कांग्रेस पार्टी में शामिल किया बल्कि उनकी बहू अनुकृति को टिकट भी दिया.

तो बात हम सुचिता की कर रहे हैं...आज एक तस्वीर उत्तराखंड के श्रीनगर विधानसभा सीट से भी सामने आई जहां पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और भावी सरकार में मंत्री और धन सिंह रावत दोनों नामांकन करने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान दोनों में एक दूसरे को देखा, हाथ मिलाया, गले मिले और फिर आगे बढ़ते चले गए. इस दौरान दोनों ने मुस्कुराकर आपस में बातचीत भी की. मीडिया ने इन तस्वीरों को अपने कैमरे में भी कैद किया. राजनीति में तस्वीर बहुत कम देखने के लिए मिलती है. लिहाजा आज की तस्वीर उत्तराखंड के लिए फोटो ऑफ द डे कही जा सकती है.

अब बात कर लेते हैं कांग्रेस के नेता हरीश रावत और उनकी पुत्री अनुपमा रावत की. दोनों पिता-पुत्री ने आज अपनी-अपनी विधानसभा में नामांकन किया. लालकुआं पहुंचकर हरीश रावत पैदल मार्च करते हुए कोर्ट परिसर तक पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पर्चा दाखिल करने से पहले लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए पूछा कि- क्या लालकुआं की जनता उन्हें अपना प्यार देगी, जिसके बाद समर्थकों ने हल्ला मचाते हुए उन्हें आश्वासन दिया. इसके बाद हरीश रावत पैदल ही नामांकन करने के लिए पहुंचे.

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इसी तरह हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लड़ रही अनुपमा रावत भी नामांकन करने पहुंचीं. उनके सामने उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं. ये सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2017 में जब हरीश रावत किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लड़ रहे थे तब स्वामी यतिश्वरानंद में हरीश रावत को इसी सीट से बड़े मार्जिन से हराया था और अब अपने पिता हरीश रावत की हार का बदला लेने के लिए अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट से मैदान में उतरी हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अनूपमा रावत ने कहा भी कि इस बार बीजेपी से जनता परेशान हो गई है और कांग्रेस की सरकार राज्य में आ रही है. लिहाजा स्वामी यतिश्वरानंद को इस बार वो बड़े मार्जन से हराने जा रही हैं.

चलते चलते हम आपको डोईवाला विधानसभा के सीट का भी हाल बता देते हैं. कल रात जब उत्तराखंड की जनता या ये कहें डोईवाला की जनता नींद में थी तो बीजेपी की तरफ से दीप्ति रावत के नाम पर हरी झंडी दिखाते हुए उनका टिकट फाइनल कर दिया था. आलम ये रहा कि दीप्ति रावत के घर पर मिठाई बंटने लगी थीं, ढोल नगाड़े बजने लगे थे लेकिन जैसे ही लोगों की नींद खुली तो मालूम हुआ कि दीप्ति रावत का टिकट काटकर बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खास बृजभूषण गैरोला को प्रत्याशी घोषित कर दिया और चंद घंटे बाद गैरोला ने अपना नामांकन भी दाखिल करा दिया.

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इस बार उत्तराखंड में जिस तरह से नेताओं के टिकट काटे हैं, टिकट होने के बाद भी जिस तरह से उनका नाम हटाया गया है, ऐसी घटनाएं उत्तराखंड की राजनीति में पहली बार ही हो रही हैं. ऐसा पहली बार होगा जब प्रदेश के दिग्गज नेता चाहे तो हरक सिंह रावत हों या प्रदेश की कमान संभाल चुके त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसे बड़े नेता या फिर दीप्ति रावत जो बीजेपी की राष्ट्रीय महिला मोर्चा की महामंत्री हैं, उनका टिकट काटने जैसी घटना पहली बार ही उत्तराखंड की राजनीति में हो रही हैं.

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