देहरादून: राजनीति में कब-क्या हो जाए कुछ पता नहीं, उत्तराखंड की राजनीति में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. बीते 5 साल से टिकट की आस में टकटकी लगाए बैठे कई नेता ठगा सा महसूस कर रहे हैं. चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद कुछ ऐसा ही हाल है.
आज 25 जनवरी 2022, मंगलवार की कड़ाके की ठंड भरी सुबह में भी सियासी गलियारों में बेहद गर्मी थी. दरअसल, बीती रात ही उत्तराखंड कांग्रेस प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी हुई थी, जिसमें कुल 10 नाम शामिल थे. इसमें जहां लैंसडाउन से पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं को टिकट दिया गया था. वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत को रामनगर सीट से दावेदार बनाया गया था. लिस्ट आने भर की देर थी कि हरीश रावत को रामनगर सीट से टिकट मिलने का जबरदस्त विरोध शुरू हो गया. 25 जनवरी की सुबह इस विरोध के साथ शुरू हुई.
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रामनगर से खबर आई कि वहां कांग्रेस कार्यकर्ता हरीश रावत को टिकट दिए जाने से बेहद नाराज हैं. वो चाहते हैं कि वहां 5 साल से काम कर रहे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत को टिकट दिया जाए, ऐसा न होने से वहां विद्रोह होने की भी संभावनाएं हैं. रामनगर से होते हुए ये बात देहरादून तक पहुंची और देहरादून से दिल्ली आलाकमान तक भी पहुंचाई गई. अब खबर है कि शायद कल सुबह तक दूसरी लिस्ट में संशोधन कर हरीश रावत की सीट बदली जा सकती है, क्योंकि इस स्थिति में कांग्रेस और बगावत नहीं झेल सकती.
इसी बीच हरीश रावत का बयान भी सामने आया है. उन्होंने रणजीत रावत से अपने मतभेद की सभी खबरों को नकार दिया है. उनका कहना है कि रणजीत रावत पार्टी के बड़े नेता हैं और वो पार्टी के लिए ही काम करेंगे. उन्होंने ये भी फाइनल किया कि वो 28 जनवरी को रामनगर से ही नामांकन फाइल करेंगे. अब सभी की नजरें रणजीत रावत पर टिकी हैं कि वो पार्टी का फैसला मानते हैं या निर्दलीय चुनाव लड़कर हरीश रावत को सीधी चुनौती देते हैं.
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हालांकि, ये तो बगावत शुरू होने की शुरुआत भर थी. लालकुआं में भी लिस्ट जारी होने के बाद जबरदस्त विद्रोह का दौर चल रहा था. यहां पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल को पूरी उम्मीद थी कि लालकुआं से कांग्रेस उनको ही टिकट देगी लेकिन टिकट दे दिया गया संध्या डालाकोटी को, बस फिर क्या था. गुस्से में दुर्गापाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. इस बीच दुर्गापाल और डालाकोटी समर्थकों के बीच काफी झड़प भी हुई. दुर्गापाल ने तो यहां तक कह दिया कि साल 2012 में भी कांग्रेस ने उनके साथ छल किया था लेकिन उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीत कर दिखाया था और इस बार वो कांग्रेस को कड़ा सबक सिखाएंगे.
बगावत की बात चली रही है तो लैंसडाउन सीट कैसे छूट सकती है. यहां से कांग्रेस ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं रावत पर दांव खेला है या यूं कहें कि हरक सिंह रावत की इकलौती मांग मान ली गई है. टिकट मिलने से अनुकृति बेहद खुश हैं, वो खुद को लैंसडाउन की बेटी बताकर वहां विकास की बात कर रही है लेकिन जो यहां पुराने कांग्रेस कार्यकर्ता हैं उनको ये बात हजम नहीं हो रही है. अनुकृति को टिकट देने के बाद लैंसडाउन से भी कांग्रेस में अंतर्कलह शुरू हो गई है. कांग्रेस से टिकट के दावेदार रघुवीर बिष्ट के समर्थकों ने अनुकृति को टिकट दिए जाने के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
ये तीन ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस को जबरदस्त बगावत झेलनी पड़ रही है और अगर जल्द ही यानी दो दिनों के अंदर ही एक बगावत को शांत नहीं किया गया तो कांग्रेस के बड़े नेताओं पर तो हार का संकट मंडराएगा ही, पार्टी के चुनाव जीतने पर भी बड़े सवाल खड़े हो सकते हैं.
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इन बगावती तेवरों से थोड़ा दूर राजधानी देहरादून वापस लौटे पूर्व भाजपाई और वर्तमान कांग्रेसी हरक सिंह रावत ने बीजेपी को अच्छी खासी खरी-खोटी सुनाई है. हरक अब दोबारा से फॉर्म में आ गए हैं. उनका कहना है कि बीजेपी सरकार में प्रदेश 20 साल पीछे चला गया, लेकिन इसके लिए खुद को भी वो जिम्मेदार मान रहे हैं. क्योंकि पिछले 5 साल से वो सरकार का हिस्सा रहे हैं. उनका कहना है कि उन्होंने कई बार खुद से लड़ाई लड़ी है, लेकिन उनकी सुनी नहीं गई.
हरक सिंह रावत ने बड़ा बयान देते हुए बीजेपी सरकार में मिले तीनों मुख्यमंत्रियों को अनुभवहीन करार दे दिया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत को तो उन्होंने हीन भावना का शिकार कह दिया है तो वहीं तीरथ सिंह रावत को भी उन्होंने नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा कि तीरथ बहुत ज्ञानी हैं, जिनके ज्ञान की परिभाषा को देखकर नड्डा से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक बड़े हैरान थे, तो ऐसे लोगों के बारे में वह ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहते. अब बारी थी वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की. हरक सिंह रावत उन्हें भी कहां बख्शने वाले थे.
उन्होंने कहा कि जब से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने धामी को T-20 का बल्लेबाज बताया है. तब से वो मदहोश हैं और हवा में उड़ रहे हैं. अचानक से ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना देना जिसके पास अनुभव ही नहीं है, ये राज्य के लिए सही नहीं है. उन्होंने उत्तराखंड से भाजपा की विदाई की भविष्यवाणी की और कहा कि इस बार कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ उत्तराखंड में सरकार बनाने जा रही है.
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