देहरादून: उत्तराखंड में सियासत के तौर पर आज 21 जनवरी 2022 का दिन बेहद रोचक रहा. उत्तराखंड की राजनीति और उसको जानने वाले लोगों के लिए हरक सिंह रावत के लिए यह दिन मानो किसी राजनीति में पुनर्जन्म से कम नहीं था. पांच दिनों से कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस का मुंह देख रहे हरक सिंह रावत को आखिरकार आज कांग्रेस ने अपनी सदस्यता दे ही दी. दिल्ली कांग्रेस भवन में ये कार्यक्रम इतना चुपचाप हुआ कि इसके बारे में भी तब पता लगा जब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं की फोटो शेयर की.
हरक सिंह रावत के आगे कांग्रेस ने क्या शर्त रखी ये तो नहीं मालूम, लेकिन इतना जरूर है कि बीजेपी से निष्कासित होने के 5 दिनों के बाद हुई इस ज्वाइनिंग में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या कांग्रेस की टीम हरक सिंह रावत को उत्तराखंड में तवज्जो देगी या फिर उनका वजूद अब कम हो जाएगा?
हरक की कांग्रेस में वापसी: लगभग 25 सालों से उत्तराखंड की राजनीति में अपनी अलग पहचान बना चुके हरक सिंह रावत ने कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और बसपा सभी पार्टियों में अपना भाग्य आजमाया है. वो जिस भी पद पर रहे हमेशा पावरफुल बने रहे. उनके बारे में कहा जाता है कि वो उत्तराखंड के एकमात्र ऐसे नेता हैं जो उत्तराखंड बनने के बाद से आज तक सरकारी मेहमान या या कहें सरकारी बंगला, गाड़ी सब इस्तेमाल कर रहे हैं.
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उनका ये दबदबा रहा कि अगर वो कांग्रेस में रहे और बीजेपी सत्ता में रही तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया गया और जब-जब सत्ता में आए तो प्रमुख मंत्रालयों जैसे- पर्यावरण, वन, विद्युत और PWD विभाग के मंत्री बनाए गए. उन्होंने बीजेपी में रहते हुए कई बड़े मंत्रालयों का दायित्व संभालास लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी जब बीजेपी में उनका मन नहीं नहीं लगा तो एक बार फिर से उन्होंने कांग्रेस में जाने की सोची लेकिन यहां रोड़ा बने थे हरीश रावत, क्योंकि हरक सिंह रावत ही वो इंसान थे जिन्होंने विजय बहुगुणा के साथ मिलकर साल 2016 में हरीश रावत की सरकार को गिराने के लिए विधानसभा में 9 विधायकों को तोड़ा था. हरीश रावत इस घटना को आज तक नहीं भूले हैं और यही कारण है कि 5 दिनों की कड़ी जद्दोजहद के बाद कहीं जाकर हरक सिंह रावत को कांग्रेस में शामिल किया गया है.
बीजेपी को कई सीट पर पहुंचा सकते हैं नुकसान: इसमें कोई दो राय नहीं कि हरक सिंह रावत उत्तराखंड में अपनी एक अलग पहचान रखते हैं. उनके कांग्रेस में आने के बाद कई सीटों पर बीजेपी को नुकसान हो सकता है. हरक सिंह रावत का दायरा राजनीति में अच्छा खासा है, ऐसे में उनके साथ काम करने वाली और उन्हें चुनाव लड़ाने वाली पूरी टीम अब कांग्रेस के लिए ही काम करेगी. हरक सिंह रावत के साथ उनकी बहू अनुकृति गुसाईं ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली है. खबरें यही सामने आ रही हैं कि अनुकृति को कांग्रेस पार्टी लैंसडाउन से टिकट देगी. इस खबर के बाद हालांकि, लैंसडाउन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया है.
जनता से पहले भगवान की शरण में सीएम: उत्तराखंड में टिकट मिलने के बाद नेता जनता के बीच तो जाएंगे ही लेकिन उससे पहले नेता जी भगवान की शरण में पहुंचने लगे हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज अल्मोड़ा पहुंचे और खटीमा से प्रत्याशी बनने के बाद उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर चितई मंदिर गोलू देवता के दर्शन करने गए. आपको बता दें कि, गोलू देवता का मंदिर न्याय के लिए माना जाता है और यहां लोग न्याय की फरियाद लगाने के लिए माथा टेकते हैं.
मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से यह पूछा गया कि जिन लोगों के टिकट काटे गए हैं और जो टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे वो लोग पार्टी से बगावत कर रहे हैं, इसका जवाब देते हुए पुष्कर सिंह धामी ने ऐसा कुछ भी होने से इनकार किया और कहा कि सभी लोग पार्टी के लिए काम करेंगे. सभी के साथ बैठकर बातचीत शुरू हो चुकी है. मतलब साफ है कि उत्तराखंड में बीजेपी के लिए आने वाले दिन आसान नहीं होंगे. बीजेपी को जहां प्रचार-प्रसार में तेजी लानी होगी, वहीं अपने रूठे हुए नेताओं को भी मनाने में उन्हें जद्दोजहद करनी पड़ सकती है, जबकि चुनाव और मतदान में समय बेहद कम रह गया है.
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उधर, बीजेपी ने जिन नेताओं के टिकट काटे हैं उन नेताओं का कांग्रेस में जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. बताया जा रहा है कि नरेंद्र नगर से एक बार फिर से सुबोध उनियाल को टिकट दिए जाने के बाद बीजेपी के संपर्क में चल रहे ओम गोपाल रावत जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. ओम गोपाल रावत पूर्व में भी चुनाव लड़ चुके हैं, तब उन्हें बेहद कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा था.
इतना ही नहीं, बागेश्वर जिले से पूर्व विधायक शेर सिंह गढ़िया ने भी बीजेपी को आंखें दिखानी शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि उन्होंने भी कांग्रेस से संपर्क साधा है और वो भी जल्द ही कांग्रेस पार्टी से मैदान में ताल ठोक सकते हैं. उधर, ऐसा ही हाल हरिद्वार की झबरेड़ा विधानसभा सीट पर विधायक देशराज कर्णवाल का भी है. कर्णवाल ने भी पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि उनकी पत्नी को भी टिकट दिया जाए. उनकी मांग है कि उनकी पत्नी राजनीतिक हैसियत में कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की पत्नी कुंवरानी देवयानी से बड़ी नेता हैं, जब देवयानी को टिकट दिया जा सकता है तो उनकी पत्नी भी टिकट की दावेदार हैं. आपको बता दें कि अभी जिन 11 सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं उनमें से एक झबरेड़ा सीट भी है. खबरें तो यहां तक हैं कि कर्णवाल के तेवर देख उनको भी हरक सिंह रावत की तरह ट्रीटमेंट दिया जा सकता है.