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Assembly Backdoor Recruitment: जांच कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक, भर्ती ही नहीं प्रमोशन भी हुए नियम विरुद्ध - Assembly backdoor recruitment

विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है. विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट को विधानसभा की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. जिसमें भर्ती ही नहीं प्रमोशन को भी नियमों के विरुद्ध बताया गया है.

Backdoor Recruitment Case
सार्वजनिक की गई जांच कमेटी की रिपोर्ट

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Published : Jan 28, 2023, 10:29 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में भाई-भतीजावाद के तहत हुई नियुक्ति मामले पर अब जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है. खास बात यह है कि जांच रिपोर्ट को विधानसभा सचिवालय ने विधानसभा की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया है. रिपोर्ट में साफ है कि विधानसभा में न केवल भर्तियां नियमों के विरुद्ध की गई. बल्कि यहां प्रमोशन से लेकर तत्कालीन विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को भी नियम विरुद्ध सचिव पद दिया गया था.

उत्तराखंड विधानसभा में भाई भतीजावाद के तहत नियुक्तियां दिए जाने का मामला उठा तो विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने मामले में जांच समिति का गठन कर जांच रिपोर्ट के आधार पर 2016 के बाद की सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया. ताजा खबर यह है कि अब विधानसभा सचिवालय ने इस 3 सदस्य जांच समिति की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक कर दिया है. जिसमें न केवल विधानसभा में 396 तदर्थ नियुक्तियों को असंवैधानिक बताया गया है. बल्कि सरकार द्वारा इन भर्तियों को किए जाने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को भी गलत बता दिया गया है. यही नहीं रिपोर्ट में 2001 से 2015 तक की गई 168 नियुक्तियों पर भी सुप्रीम कोर्ट निर्णय के आधार पर परीक्षण कराकर निर्णय लेने का सुझाव दिया गया है.

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उत्तराखंड विधानसभा की नियुक्तियों की जांच के लिए बनायी गयी विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट 20 सितंबर 2022 में 2001 से लेकर 2021 तक की गई सभी 396 तदर्थ नियुक्तियों को असंवैधानिक और गलत माना. जिसमें 228 नियुक्तियों को निरस्त करने योग्य माना है, जबकि, 2013 से 2016 तक विनियमित की गई. 2001 से 2015 तक की गई 168 नियुक्तियों को गलत एवं असंवैधानिक तो माना है. लेकिन इस पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के उमा देवी के निर्णय के परिक्षेय में परीक्षण करके निर्णय लिये जाने को कहा है.

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इसके साथ ही विधानसभा सचिवालय में कार्मिकों की नियुक्तियों के विधि विरूद्ध होने न होने सम्बन्धी आख्या के पैरा 12 में सभी 396 तदर्थ नियुक्तियों को असंवैधानिक माना है. इसमें स्पष्ट उल्लेख किया है कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2001 से 2022 तक की गई तदर्थ नियुक्तियों हेतु सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान नहीं करके भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 तथा अनुच्छेद 16 का उल्लंघन किया गया है. इसमें 2001 में 53, 2002 में 28, वर्ष 2003 में 5, वर्ष 2004 में 18, वर्ष 2005 में 8, वर्ष 2006 में 21, वर्ष 2007 में 27 तथा वर्ष 2008 में 1, वर्ष 2013 में 01, वर्ष 2014 में 7, वर्ष 2017 में 149, वर्ष 2020 में 6 तथा वर्ष 2021 में 72 नियुक्तियां शामिल हैं.

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इसमें वर्ष 2009 से 2012, 2015, 2017 से 2019 तथा 2022 वर्षों में कोई तदर्थ नियुक्ति नहीं दर्शाई गयी हैं. इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस सूची में उत्तर प्रदेश से आये कार्मिक, सेवानिवृत कार्मिक, जिनका निधन हो चुका है, त्याग पत्र देने वाले, मृतक आश्रित तथा उपनल/आउटसोर्सिंग के आधार पर रखे कार्मिक शामिल नहीं है.

पूर्व आईएएस दिलीप कोटिया (अध्यक्ष), सुरेन्द्र सिंह रावत तथा अवनेन्द्र सिंह नयाल की समिति ने केवल नियुक्तियों की वैधता पर ही आख्या प्रस्तुत नहीं की है बल्कि मुकेश सिंघल की सचिव विधानसभा के रूप में प्रोन्नति की वैधता, सचिव के अतिरिक्त अन्य पदों पर प्रोन्नति की वैधता, विधानसभा सचिवालय में की गई नियुक्तियों के सेवा नियमावलियों में निर्धारित योग्यता के अनुरूप होने/न होने के सम्बन्ध में भी आख्या प्रस्तुत की है. इसके अतिरिक्त भविष्य में सुधार हेतु 15 सुझाव भी प्रस्ततु किये हैं.

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