देहरादूनःउत्तराखंड राज्य में आज बड़े ही धूमधाम से राज्य स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. आज ही के दिन 20 साल पहले उत्तरप्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी. इन 20 सालों में प्रदेश में कई विकास कार्य हुए. प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से नागरिक उड्डयन विभाग बेहद महत्वपूर्ण है. प्रदेश में आपदा जैसे कार्यों से निपटने के लिए उड्डयन विभाग काफी कारगार है. लिहाजा प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में नागरिक उड्डयन की गतिविधियों का विकास होना बेहद जरूरी है. चलिए जानते हैं कि राज्य स्थापना के बाद प्रदेश में हेली सेवाओं का विस्तार कितना हुआ? राज्य में हेली सेवाओं की स्थिति क्या है?
प्रदेश के कई हिस्सों में शुरू हुई हवाई सेवाएं
यूं तो उत्तराखंड राज्य में तमाम जगहों पर हेलीपैड का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन अभी तक प्रदेश को हवाई कनेक्टिविटी से जोड़ा नहीं जा सका है. वर्तमान समय में देहरादून, पंतनगर और पिथौरागढ़ के साथ ही चिन्यालीसौड़ और देहरादून से गौचर तक हवाई सेवाएं संचालित की जा रही है. यही नहीं, इस साल उत्तराखंड सरकार ने देहरादून स्थित जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से नई टिहरी, श्रीनगर, गौचर के लिए भी हवाई सेवाएं शुरू की, ताकि प्रदेश में आपातकाल के दौरान इन हवाई सेवाओं का इस्तेमाल किया जा सके. हालांकि अभी प्रदेश में तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जिन्हें हेली सेवाओं से जोड़ने की जरूरत है.
20 सालों में उत्तराखंड ने हेली सेवाओं में मारी छलांग. उड़ान योजना के तहत हेली सेवाओं की सबसे पहले शुरूआत
प्रदेश के भीतर मुख्य रूप से अभी 75 हेलीपैड मौजूद हैं. जिनमें से अधिकांश हेलीपैड का प्रयोग किया जा रहा है. इससे अलग अन्य हेलीपैडों को और विकसित किए जाने पर भी जोर दिया जा रहा है. साथ ही केदारनाथ धाम के लिए विशेष हेलीकॉप्टर सेवा भी हर साल चलाई जा रही है. हालांकि अगर प्रदेश के भीतर प्रति केपिटा हेलीकॉप्टर इस्तेमाल की बात करें तो उत्तराखंड देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है, जहां प्रदेश में हेली सेवाएं प्रति व्यक्ति के हिसाब से बहुत अधिक है. यही नहीं, उड़ान योजना के तहत सबसे पहले हेलीकॉप्टर चलाने की शुरुआत उत्तराखंड में हुई. हालांकि नागरिक उड्डयन में अपार संभावनाएं हैं, जिसके लिए भविष्य में अभी बहुत कार्य करना बाकी है.
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कोरोना के चलते लटकी हिमालय दर्शन योजना
प्रदेशभर में बने 65 हेलीपैड का आम दिनों में भी इस्तेमाल किए जाने को लेकर नागरिक उड्डयन विभाग इस साल हिमालय दर्शन योजना शुरू करने जा रही थी. जिसके तहत यात्रियों को हेली सेवा के माध्यम से हिमालय का दर्शन करवाया जाएगा. इस संबंध में करीब 9 हेली कंपनियों ने अपनी इच्छा जताई है. जिस पर जल्द ही टेंडरिंग प्रक्रिया से हिमालय दर्शन योजना शुरू होनी थी, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के चलते यह योजना अधर में लटक गई है. हिमालय दर्शन योजना के तहत ना ही टेंडर प्रक्रिया हो पाई और ना ही इस योजना की प्रक्रिया शुरू हो पाई.
हवाई नेटवर्क को व्यवस्थित करना
प्रदेश भर में हवाई नेटवर्क को और व्यवस्थित किया जाना है. ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की आपदा राहत-बचाव कार्यों में कोई दिक्कत ना हो. इस लिहाज से प्रदेश के हवाई नेटवर्क को व्यवस्थित करने की कवायद नागरिक उड्डयन विभाग कर रहा है. इसके साथ ही प्रदेश भर में बने 75 हेलीपैडों को और दुरुस्त किया जा रहा है, ताकि अचानक घटने वाली घटनाओं में इनका तत्काल इस्तेमाल किया जा सके. हालांकि इसके लिए अभी फिलहाल कुछ हेलीपैड को चिन्हित किया गया है, जिसका विस्तारीकरण किया जा रहा है.
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प्रदेश में हेली सेवाओं की भूमिका
नागरिक उड्डयन विभाग के सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते नागरिक उड्डयन विभाग अपनी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है. प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी है. सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी होने के बावजूद कई बार दिक्कतें उत्पन्न हो जाती हैं, ऐसे समय में उन क्षेत्रों में सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हेली सेवाएं अहम भूमिका निभाती हैं. इसके साथ ही उत्तराखंड के बॉर्डर पर तैनात सेना के जवानों को सुविधाएं उपलब्ध कराने में हेली सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
सिविल एविएशन में कई बड़े बदलाव
दिलीप जावलकर ने बताया कि सिविल एविएशन में भी कई बड़े बदलाव देखे गए हैं. क्योंकि अभी तक लोग विमान और हेलीकॉप्टर को ही जानते थे, लेकिन अब इस आधुनिक युग में ड्रोन एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है. ड्रोन बेहद कम समय में किसी भी क्षेत्र में पहुंच सकता है और मुख्य रूप से स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को पहुंचा सकता है. ऐसे में आने वाले समय में सिविल एविएशन के क्षेत्र में कई बड़े बदलाव देखे जाएंगे.