ETV Bharat Uttarakhand

उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

शिक्षक दिवस: उत्तरा बहुगुणा की कहानी, जिन्होंने CM जनता दरबार में उठाई हक की आवाज - national teachers day

शिक्षक दिवस के मौके पर पढ़िए उत्तरा पंत बहुगुणा की कहानी. जिन्होंने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में अपने हक की आवाज उठाई. लेकिन इंसाफ की जगह उन्हें मिला तो सस्पेंशन.

Story of Uttara Pant Bahuguna
उत्तरा बहुगुणा की कहानी
author img

By

Published : Sep 5, 2020, 4:06 AM IST

Updated : Sep 5, 2020, 12:13 PM IST

देहरादून: शिक्षक समाज में उच्च आदर्श स्थापित करने वाला व्यक्तित्व होता है. जो किसी भी देश या समाज के निर्माण में शिक्षा की अहम भूमिका होती है. एक शिक्षक अपने जीवन के अंत तक तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को सही राह दिखाता रहता है. लेकिन, इन सबके बीच शिक्षक खुद की परेशानियों का समाधन नहीं निकाल पाते हैं, तो उसे खुद के न्याय के लिए आवाज उठाना पड़ता है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दरबार में अपने ट्रांसफर की फरियाद लेकर पहुंची उत्तरकाशी की एक स्कूल टीचर उत्तरा पंत बहुगुणा को सीएम से इंसाफ तो मिला नहीं बल्कि जनता दरबार में बुलंद आवाज उठाने पर उन्हें सस्पेंड जरूर कर दिया गया था.

28 जून 2018 की घटना

28 जून को हुए जनता दरबार में उत्तरकाशी में 25 सालों से ज्यादा टीचर के रूप में सेवाएं दे रहीं 58 साल की उत्तरा पंत बहुगुणा के हाथ में माइक आता है. सीएम को संबोधित करते हुए उत्तरा कहती हैं कि 'मेरी समस्या ये है कि मेरी पति की मृत्यु हो चुकी है. मेरे बच्चों को कोई देखने वाला नहीं है. घर पर मैं अकेली हूं, अपने बच्चों का सहारा. मैं अपने बच्चों को अनाथ नहीं छोड़ सकती और नौकरी भी नहीं छोड़ सकती. आपको मेरे साथ न्याय करना ही होगा'

उत्तरा पंत बहुगुणा द्वारा न्याय की फरियाद को सुनकर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तरा से कहते हैं कि 'जब नौकरी की थी तो क्या लिखकर दिया था?' उत्तरा सीएम को जवाब देती हैं कि 'लिखकर दिया था सर. लेकिन, ये नहीं बोला था कि मैं दुर्गम स्थान पर जिंदगीभर रह पाऊंगी.

उत्तरा पंत बहुगुणा ने अपने हक के लिए उठाई थी आवाज.

इस बीच उत्तरा के जवाब सुनकर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तरा को टोककर कहते हैं कि 'अध्यापिका हैं, जरा ठीक से बोलिए. नौकरी करती हैं न तो जरा सभ्यता से बोलना सीखिए. मैं सस्पेंड कर दूंगा अभी. अभी सस्पेंड हो जाओगी. इसको सस्पेंड कर दो अभी. सस्पेंड करो आज ही. ले जाओ इसको उठाकर बाहर. बंद करो इसको. जाओ इसको ले जाओ. इसको कस्टडी में लीजिए'.

सीएम की बातों को सुनकर उत्तरा पंत बहुगुणा नाराज हो जाती हैं. इस दौरान उत्तरा नाराज होकर सीएम को जवाब देती हैं कि 'आप मुझे क्या सस्पेंड करोगे. मैं खुद घर पर बैठी हूं'. इस पूरे घटना के बाद सीएम के आदेशानुसार पुलिसकर्मी उत्तरा पंत बहुगुणा को जनता दरबार से बाहर ले जाते हैं. पूरा घटनाक्रम मीडिया की सुर्खियों में छाया रहा था. पूरा वाकया सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था और देशभर की मीडिया की सुर्खियों में छाया रहा था.

उत्तरा पंत बहुगुणा ने बयां किया दर्द

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार से करीब दो साल पहले बाहर निकाली गईं उत्तरा बहुगुणा ने एक बार फिर दर्द बयां करते हुए सरकार पर अपना गुस्सा निकाला है. मौजूदा समय में उत्तरकाशी के नौगांव ब्लॉक के जेस्टवड़ी गांव में तैनात उत्तरा बहुगुणा का कहना है कि 25 सालों तक उत्तरकाशी में तैनात होने के बाद जब स्थानांतरण किया गया तो वो भी एक दुर्गम स्थल में तैनाती दी गई.

उत्तरा पंत बहुगुणा के मुताबिक घटना को दो साल से ज्यादा का वक्त हो गया है. हालांकि, उस दौरान कई बिंदुओं को लेकर जांच की बात कही गई थी, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है. उत्तरा के मुताबिक घटना के बाद उनका गलत तरीके से समायोजन किया गया. जब दूसरे स्कूल में उनकी तैनाती की गई तो उसी दौरान पति की तबीयत खराब हो गई थी. ऐसे में छुट्टी लेकर घर आना पड़ा था और अधिकारियों ने बिना जांच पड़ताल के ही अनुपस्थित होने के चलते सस्पेंड कर दिया था. इन बिंदुओं पर जांच कराए जाने की बात कही गई थी.

उत्तरा पंत बहुगुणा की कहानी

वर्ष 2015 में अपने पति की मृत्यु के बाद से ही वह परेशान चल रही थीं और अपने ट्रासंफर को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्रियों तक अपनी गुहार लगा चुकी हैं. अपने ट्रांसफर के लिए 28 जून 2018 की सुबह साढ़े दस बजे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में गई थीं ताकि पति की मौत के बाद ट्रांसफर करवाकर बच्चों संग रह सकें लेकिन ट्रांसफर की जगह मिला तो सस्पेंशन. उत्तरा का कहना है कि स्कूल का स्टाफ और स्थानीय ग्रामीण बहुत अच्छे हैं लेकिन उन्हें जिंदगी भर एक मलाल जरूर रहेगा कि एक लंबे समय तक दुर्गम क्षेत्र में सेवा देने के बाद दोबारा दुर्गम क्षेत्र में ही तैनात किया गया है.

उत्तरा पंत बहुगुणा ने बताया कि उनके माता-पिता भी उत्तराखंड में शिक्षक थे. यही नहीं, उनके चारों भाई-बहन भी शिक्षक हैं. बचपन में माता-पिता गांव से दूर स्कूलों में पढ़ाने जाते थे. इस दौरान गांव में मकान नहीं मिलने के कारण पूरे परिवार को स्कूल में रहना पड़ता था.

सच्चाई बताने वाले आंकड़े

उत्तरा पंत बहुगुणा की पहली नियुक्ति 1993 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय भदरासू मोरी उत्तरकाशी के दुर्गम विद्यालय में हुई थी. अगले साल उन्हें उत्तरकाशी में ही चिन्यालीसौड़ के धुनियारा प्राथमिक विद्यालय में ट्रांसफर कर दिया गया, जो सड़क से 5-6 किमी. की खड़ी चढ़ाई पर स्थापित है. वर्ष 1994 से सात-आठ साल तक वह जगडगांव दुगुलागाड में तैनात रहीं. वर्ष 2003 से 2015 तक यहां तैनात रहने के बाद उन्हें उत्तरकाशी के नौगांव में जेस्टवाड़ी प्राथमिक विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया. वर्ष 2015 में पति की मृत्यु होने के बाद अध्यापिका लगातार बच्चों के साथ देहरादून ट्रांसफर के लिए प्रयास कर रही थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा, हरीश रावत से लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत तक ने उनकी कुछ नहीं सुनी.

बिग बॉस से आया था फोन

शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा और सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच हुई कहासुनी देशभर में सुर्खियों में छाई रही. मामले ने इतना तूल पकड़ा कि कुछ दिनों बाद ही शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा को टीवी के जाने-माने रियलिटी शो बिग बॉस से ऑफर भी आया था. मुंबई से आए कॉल में उत्तरा पंत को बिग बॉस में शामिल होने का ऑफर दिया गया था. इसके साथ ही पूरे मामले में उत्तरा पंत को सुप्रीम कोर्ट के कई वरिष्ठ वकीलों का भी फोन आया था, जो उनके लिए फ्री में मुकदमा भी लड़ने को तैयार थे. इस दौरान उत्तरा के पास कई कॉमर्शियल ब्रांड्स को प्रमोट करने का भी ऑफर आया था.

Last Updated : Sep 5, 2020, 12:13 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details