बदरीनाथ में अलकनंदा नदी में गिरता रहा अनट्रीटेड सीवेज देहरादून: गंगा और उसकी साहयक नदियों को किसी ओर से नहीं, बल्कि एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) से ही खतरा हो रहा है. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि बदरीनाथ में लगाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के ओवरफ्लो होने से अनट्रीटेड सीवेज अलकनंदा में जाता रहा. हद तो तब हो गई, जब उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को इसकी भनक तक नहीं लगी और अधिकारी चैन की नींद सोते रहे. यहां बता दें कि अलकनंदा नदी देवप्रयाग में भागीरथी से मिलकर बनने पतित पावनी गंगा की मुख्य जलस्रोत है.
कई घंटों तक अलकनंदा में बहता रहा अनट्रीटेड सीवेज: प्रदेश की तमाम नदियों को साफ रखने के लिए सरकार करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है. नदियों में सीवेज का गंदा पानी न जाए, इसके लिए जगह-जगह एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाए जा रहे हैं. बदरीनाथ में भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है, ताकि अलकनंदा नदी में अनट्रीटेड सीवेज न जाए. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बीती 19 मई को बदरीनाथ में इसी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का अनट्रीटेड सीवेज (मलजल) सीधे में अलकनंदा में गया.
बताया जा रहा है कि बदरीनाथ धाम में लगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की मशीन खराब हो गई थी. जिससे कई घंटे तक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ओवरफ्लो होता रहा और अनट्रीटेड सीवेज सीधे अलकनंदा नदी में गिरता रहा. बदरीनाथ धाम में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन कर रही कार्यदाई एजेंसी जल संस्थान ने खुद इस बात को स्वीकार किया है.
जल संस्थान का कहना है कि 19 मई के दिन उनके ट्रीटमेंट प्लांट की मोटर में अचानक कुछ खराबी आ गई थी, जिसके बाद प्लांट पर स्पीयर मोटर भी मौजूद नहीं थी और जितनी देर में दूसरी जगह से मोटर का इंतजाम किया गया, इतनी देर तक बदरीनाथ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का अनट्रीटेड सीवेज अलकनंदा में जाता रहा. जिसका कुछ लोगों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया था, जो अब वायरल हो रहा है.
सोया रहा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड:मजे की बात ये है कि जिस उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पर नदियों को साफ-सुथरा रखने की जिम्मेदारी है, उसको बदरीनाथ में हुई इस कांड की खबर तक नहीं है. उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सुशांत पटनायक से इस बारे में जब सवाल किया तो उन्होंने इस तरह की किसी भी जानकारी नहीं होने की बात कही.
अध्यक्ष सुशांत पटनायक का कहना है कि उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की मॉनिटरिंग करता है. किसी भी तरह का सीवेज गंगा में नहीं जा रहा है. हालांकि ये अलग बात है कि बदरीनाथ धाम में उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के दावे झूठे साबित हो रहे हैं. क्योंकि वहां घंटों सीवेज का गंदा पानी अलकनंदा नदी में जाता रहा और उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं है.
वायरल हुआ वीडियो: इस पूरे मामले पर बदरीनाथ नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष बलदेव मेहता ने फोन पर ईटीवी भारत को बताया कि बदरीनाथ धाम में खास चौक के पास बना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अक्सर खराब होता रहता है. इससे कई बार दुर्गंध भी आती है, लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं देता है. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास प्राचीन हनुमान मंदिर है, जहां पर तीनों टाइम का भंडारा आयोजित किया जाता है और जिसमें एक समय में तकरीबन 500 से 600 लोग भोजन करते हैं, लेकिन इस एसटीपी प्लांट की वजह से लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
वहीं इस मामले पर HNB सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भूगोल शास्त्र के प्रोफेसर डॉ एमपीएस बिष्ट का कहना है कि यह विषय बेहद गंभीर है. इस पर सरकारी एजेंसियों को ध्यान देना चाहिए. उनका कहना है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रबंधन कर रही कार्यदायी संस्था के पास अतिरिक्त मशीन होनी चाहिए. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी इस तरह के विषयों पर ध्यान देने की जरूरत है.
जल संस्थान ने मानी अपनी गलती: इस बारे में जब जल संस्थान के इंजीनियर संजय श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बदरीनाथ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं. इनमें से एक 1MLD का, दूसरा 26MLD और तीसरा 10KLD का है. संजय श्रीवास्तव का कहना है कि बदरीनाथ मास्टर प्लान के निर्माण कार्यों की वजह से 10KLD वाला एसटीपी प्लांट ऑपरेशनल नहीं है, लेकिन अन्य 2 एसटीपी ऑपरेशनल हैं. इनमें से एक एसटीपी पर 19 मई को मोटर खराब होने की वजह से ओवरफ्लो हो गया और कुछ देर तक अनट्रीटेड सीवेज नदी में चला गया था.
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इसे जल्दी ठीक कर दिया गया था. इसके अलावा जल संस्थान का कहना है कि चारधाम यात्रा के बाद अचानक धामों में लोगों के दबाव बढ़ने के बाद एसटीपी प्लांट पर भी दबाव बढ़ जाता है, जिसकी वजह से इस तरह की घटनाएं होती हैं. वहीं बदरीनाथ में चल रहे PWD के तमाम निर्माण कार्य के चलते कई जगहों पर सीवेज लाइन भी क्षतिग्रस्त हुई हैं और उनसे भी सीवेज सीधे नदी में जा रहा है.
पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आए:उत्तराखंड में पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. हालांकि हर बार कार्रवाई की बात कह कर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड अपना पल्ला झाड़ लेता है. यही कारण है कि केंद्र सरकार नामामि गंगे प्रोजेक्ट के नाम पर गंगा को साफ करने के लिए जो करोड़ों रुपए पानी तरह की बहा रही है, उसका मनमाफिक रिजल्ट सामने नहीं आ रहा है.