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अभ्यास मिलन 2022: अजय भट्ट ने किया फुल-ड्रेस रिहर्सल का उद्घाटन, विशाखापत्तनम में जुटे कई देशों के नौसैनिक

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Published : Feb 26, 2022, 8:53 PM IST

भारतीय नौसेना का बहु-राष्ट्रीय अभ्यास मिलन 2022 का आयोजन आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में किया जा रहा है. केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट ने विशाखापत्तनम में मिलन 2022 फुल-ड्रेस रिहर्सल का उद्घाटन किया.

ajay bhatt milan 2022
मिलन 2022 फुल-ड्रेस रिहर्सल का उद्घाटन

देहरादून:केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट ने विशाखापत्तनम में अभ्यास मिलन-2022 फुल-ड्रेस रिहर्सल का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम में एडमिरल हरिकुमार, विभिन्न देशों के नौसेना अधिकारी, 39 देशों के प्रतिनिधि और 13 देशों के युद्धपोतों ने भाग लिया. तीनों सेनाओं ने मिलन के दौरान आरके बीच पर युद्धाभ्यास किया. वहीं, मिलन 2022 गांव का उद्घाटन के दौरान अजय भट्ट ने घरेलू उत्पादों से लगे 40 स्टालों का भी निरीक्षण किया.

विशाखापत्तनम में अभ्यास मिलन: बता दें कि भारतीय नौसेना का बहु-राष्ट्रीय अभ्यास मिलन 2022 का आयोजन आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में किया जा रहा है. नौसेना ने बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास मिलन में भाग लेने के लिए 46 मित्र देशों को न्यौता भेजा है. जिनमें रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल, ईरान, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, ब्राजील, संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य देश शामिल हैं.

दो चरणों में अभ्यास: मिलन 2022 नौ दिनों के लिए दो चरणों में विशाखापत्तनम में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें बंदरगाह चरण 25 से 28 फरवरी तक और समुद्री चरण 1 से 4 मार्च तक निर्धारित है. विशाखापत्तनम को 'सिटी ऑफ डेस्टिनी' भी कहा जाता है. मिलन 2022 का आयोजन दो चरणों में किया जाना है. नौसेना के इस अभ्यास का विषय 'कैमराडरी- कोहेजन-कोलेबोरेशन'(Camaraderie–Cohesion– Collaboration) है. इसका उद्देश्य भारत को दुनिया के लिए बड़े स्तर पर एक जिम्मेदार समुद्री शक्ति के रूप में पेश करना है.

कई देश मिलन अभ्यास में शामिल: मिलन 2022 को महासागरों में समुद्री भाईचारे के संबंधों को बढ़ावा देने का एक अमूल्य अवसर बताया जा रहा है. अमेरिकी नौसेना का दल मिलन 2022 में शामिल हो रहा है. मिलन 2022 के संबंध में भारतीय नौसेना ने अपने ट्विटर हैंडल-@indiannavy पर कई वीडियो जारी किए हैं. बांग्लादेशी नौसेना के फ्रीगेट पोत बीएनएस उमर फारुक (एफ 16) के विशाखापत्तनम आने पर भारतीय नौसेना की टीम ने इसका स्वागत किया. बीएनएस उमर फारुक हेलीकॉप्टर को साथ लेकर चलता है.

ये भी पढ़ें:Indian Navy MILAN 2022 : 'सिटी ऑफ डेस्टिनी' में जुटे फ्रांस, बांग्लादेश, श्रीलंका और वियतनाम के नौसैनिक

बांग्लादेश के अलावा फ्रांस की नौसेना भी मिलन 2022 में शिरकत कर रही है. फ्रांसीसी नौसेना का पोत एफएस लॉइरे (French Navy FS Loire (A602) मिलन 2022 में शामिल होगा. A602 एक ऑफशोर सपोर्ट असिस्टेंस वेसल है. मिलन 2022 में श्रीलंका की नौसेना भी शामिल हो रही है. श्रीलंका की ओर से एडवांस्ड ऑफशोर पेट्रोल वेसल- (SLNS Sayurala (P623) मिलन 2022 में शामिल होगा. वियतनाम की नौसेना भी मिलन 2022 में शामिल हो रहा है. वियतनाम की ओर से गेपार्ड क्लास फ्रीगेट (गाइडेड मिसाइल) वीपीएनएस क्वांग ट्रूंग (Vietnamese VPNS Quang Trung (016) मिलन 2022 का हिस्सा बनेगा.

जानें क्या है अभ्यास मिलन: अभ्यास मिलन सबसे जटिल नौसैनिक अभ्यास है, जो भारत अन्य देशों के साथ करता है. मिलन एक बहुपक्षीय युद्ध नौसैनिक अभ्यास है, जिसे 1995 में शुरू किया गया था. उद्घाटन संस्करण में भारतीय नौसेना के अलावा, इंडोनेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड की नौसेनाओं ने भाग लिया था.

2020 में रद्द हुआ था अभ्यास मिलन: साल 2022 में भी भारतीय नौसेना द्वारा यह अभ्यास होना था. उस समय भी 41 देशों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे रद्द करना पड़ा. वहीं, 2018 में में 17 देशों की नौसेनाओं ने इस अभ्यास में हिस्सा लिया था. मिलन 2022 इस आयोजन का ग्यारहवां संस्करण हैं और इसे पूर्वी नौसेना कमान के तत्वाधान में आयोजित किया जा रहा है.

अभ्यास मिलन का महत्व: विशेषज्ञों का बताते हैं कि यह आयोजन उपमहाद्वीप के समुद्र तटों में भारत की समुद्री श्रेष्ठता को दिखाने और उसकी सुरक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. वहीं, हिंद महासागर में चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत और बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए घेराबंदी जरूरी है. क्योंकि चीन का नौसैनिक विस्तार भारत के लिए चुनौती खड़ा सकता है. इसलिए ऐसे अभ्यासों की बेहद जरूरत है. हिंद महसागर तेजी से चीन और भारत के लिए एक भू-रणनीतिक केंद्र बिंदु बनता जा रहा है, क्योंकि दोनों में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है.

चीन को रोकना जरूरी:चीन का आर्थिक और रणनीतिक लाभ हासिल करने के लिए रणनीतिक बंदरगाहों तक सुरक्षित पहुंचना चाहता है. वहीं भारत की भूमिका को समुद्री मार्ग और नौवहन की स्वतंत्रता की रक्षक के रूप में देखा जा रहा है. इस अभ्यास के जरिए भारत को अलग-अलग देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने और समुद्री सहयोग हासिल करने का एक मौका मिलता है.

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