देहरादून:उत्तराखंड में युवाओं को रोजगार मिलना भले ही खुली आंखों से सपना देखना जैसा हो, लेकिन भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक, बैक डोर भर्ती से अपने चहेतों को नौकरी दिलाना और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) जैसी संस्थाओं में नौकरी माफियाओं की सांठगांठ एक आम सी बात हो गई है. पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में सरकारी भर्ती का ट्रैक देखें तो ऐसा कहना गलत नहीं होगा. वहीं, इन बेरोजगारों से आवेदन और परीक्षा फीस के नाम पर यूकेएसएसएससी एक साल में ₹8 करोड़ से ज्यादा और पिछले तीन साल में ₹20 करोड़ से भी ज्यादा की कमाई की हैं. इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार से हुआ है. जबकि बीते एक साल में आयोग किसी भी युवा को नौकरी नहीं दे पाया है.
RTI में आयोग से मांगी जानकारी:सूचना के अधिकार के तहत उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग से तीन सालों की जानकारी मिली है, लेकिन रोजगार के नाम पर क्या कुछ किया है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते एक साल में लगभग एक दर्जन भर्तियों पर सवाल खड़े हो गए हैं. इतना ही नहीं आयोग के कारनामों की वजह से हजारों युवाओं का भविष्य अधर में भी लटक गया है. जबकि इन भर्ती घोटालों में कई लोगों की गिरफ्तारी अब तक हो चुकी है. आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में यह पूछा गया कि अधीनस्थ चयन सेवा आयोग युवाओं से आवेदनों के कितने रुपए शुल्क वसूलता है और बीते 3 सालों में विभाग को कितने रुपए आवेदनों से प्राप्त हुए हैं और कितनी भर्ती निकाली गई है ?
3 साल में 20 करोड़ से ज्यादा की कमाई:आरटीआई के जवाब में आयोग ने कहा कि बीते 3 सालों में लगभग ₹20 करोड़ 70 लाख से अधिक रुपए अधीनस्थ चयन सेवा आयोग ने प्राप्त किए हैं, लेकिन जिस आयोग के ऊपर युवाओं को रोजगार और उनके भविष्य को उज्जवल करने की जिम्मेदारी है. वह आयोग नौकरी देने में फिसड्डी होने के बावजूद उल्टा बेरोजगार युवाओं से ही आवेदन शुल्क के नाम पर करोड़ों रुपए सालाना वसूल रहा है. जो भर्तियां अधीनस्थ चयन सेवा आयोग ने निकाली थी, वह लगातार निरस्त होती गई और कुछ पेपर लीक होने की घटना के बाद उन्हें अधीनस्थ चयन सेवा आयोग से हटाकर लोक सेवा आयोग के हवाले कर दिया गया.
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