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सदियों से चली आ रही है गागली युद्ध परंपरा, पश्चाताप के लिए आपस में भिड़ते हैं उत्पाल्टा और कुरौली के ग्रामीण - Tradition of the Gagli War

गागली युद्ध की परंपरा जौनसार बावर क्षेत्र में सदियों से चली आ रही है. यहां एक श्राप और पश्चाताप के उत्पाल्टा और कुरौली के ग्रामीण आपस में भिड़ते हैं.

Tradition of the Gagli War
सदियों से चली आ रही है गागली युद्ध परंपरा

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Published : Oct 5, 2022, 7:38 PM IST

विकासनगर: जौनसार बावर क्षेत्र में सदियों से दो गांवों के बीच गागली युद्ध की परंपरा निभाई जाती है. इसी कड़ी में आज उद्पाल्टा गांव में पाइता पर्व पर 2 गांव के बीच गागली युद्ध हुआ. उसके बाद सभी ने एक दूसरे को गले लगाकर पंचायती आंगन में हारुल नृत्य किया.

जौनसार बाबर के उद्पाल्टा गांव में पाइता पर्व मनाया गया. पर्व को लेकर कुरुली गांव व उद्पाल्टा के ग्रामीणों ने रानी मुनि की घास से बनी प्रतिमाएं हाथ में लेकर पंचायती आंगन में ढोल दमाऊ और गाजे-बाजे के साथ नृत्य किया. साथ ही कियाणी नामक स्थान के समीप कुएं पर पंहुच कर रानी मुनी की प्रतिमाओं को विसर्जित करने के बाद सभी ग्रामीणों ने हाथों में गागली के डंठलों से युद्ध किया. इसके बाद दोनों गांव के ग्रामीणों ने गले मिलकर पंचायती आंगन में हारूल नृत्य किया.

सदियों से चली आ रही है गागली युद्ध परंपरा

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उद्पाल्टा गांव के ग्रामीण कश्मीरी राय ने कहा गांव में दो कन्या अलग-अलग परिवारों की थी, जो कि गांव से थोड़ी दूरी पर कुएं में पानी भरने के लिए गई थी. जिसमें एक कन्या कुएं में गिर गई. वहीं दूसरी कन्या पर ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उसने दूसरी कन्या को धकेला है. जिसके चलते दूसरी कन्या ने भी कुएं में छलांग लगा दी. जिसके कारण ग्रामीणों को दोनों कन्याओं का श्राप लगा. श्राप से मुक्ति पाने के लिए दोनों गांव के ग्रामीण गागली युद्ध करते हैं.

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उद्पाल्टा गांव के डॉक्टर गजेंद्र सिंह राय का कहना है कि सदियों से यह परंपरा चली आ रही है. श्राप से मुक्ति पाने के लिए दोनों परिवार के लोग उद्पाल्टा व कुरौली गांव के ग्रामीण गागली युद्ध कर पश्चाताप करते हैं. दशहरे के दिन दोनों परिवारों मे कन्याओं का जन्म होगा तभी दोनों गांव के बीच गागली युद्ध समाप्त होगा ऐसी मान्यता है.

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