देहरादून: केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016 उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई थी. जिसका उद्देश्य केरोसिन और लकड़ियों के चूल्हे के इस्तेमाल को कम करके गृहणियों को सुविधा देना था. जिसके तहत पूरे देश में 5 करोड़ गैस कनेक्शन बीपीएल परिवारों को दिए गए. वहीं, उत्तराखंड में भी इस योजना के तहत करीब साढ़े 3 लाख कनेक्शन बांटे गए. लेकिन आज तमाम उपभोक्ताओं के ज्यादातर कनेक्शन की रिफिलिंग नहीं हो रही हैं. जिसके चलते महिलाओं को राहत देने वाली इस योजना का उद्देश्य धरातल पर पूरा होता नहीं दिख रहा है.
उत्तराखंड में उज्ज्वला योजना के तहत प्रदेश के सभी जिलों में लाखों की संख्या में गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन वितरित किए गए. लेकिन, आज जब 4 साल से ज्यादा समय योजना को हो चुका है. ऐसे में कई मामले सामने आए हैं, जहां पर यह कनेक्शन दोबारा रिफिल नहीं हो पाए हैं.
अगर हम बात खासतौर पर उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों की करें तो यहां गैस एजेंसियां काफी दूर हैं. ऐसे में पैदल या फिर किस अन्य माध्यम से यहां गैस सिलेंडर घर तक पहुंचाना पड़ता है. ऐसे में वहां लकड़ी का चूल्हा ही पहले विकल्प के तौर पर देखा जा सकता है. वहीं, मैदानी जिलों में गरीब तबके की महिलाओं के लिए कनेक्शन रिफिल करवाने में महंगाई एक बड़ी समस्या सामने आ रही है.
यहां पर हम आपको बताते हैं उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों से लेकर मैदानी जिलों तक क्या है उज्ज्वला योजना और गैस कनेक्शन रिफिलिंग में आने वाली समस्याओं की हकीकत.
देहरादून
देहरादून जिले में 47,139 महिलाओं को उज्ज्वला योजना से गैस कनेक्शन मिले हैं. जिसमें 10 फीसदी लाभार्थियों ने कनेक्शन मिलने के बाद सिलेंडर दोबारा नहीं भरवाया है, जबकि ज्यादातर कनेक्शन रिफिल करवाये जा रहे हैं.
हरिद्वार
हरिद्वार जनपद में 1,09,000 लाभार्थियों को उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर दिए गए हैं. इसमें से केवल 85 फीसदी लोगों ने ही दोबारा सिलेंडर भरवाया है.
नैनीताल
नैनीताल जिले में 12,634 कनेक्शनों में से 5,053 लोग ही सिलेंडर रिफिल करवा रहे हैं. पूर्ति अधिकारी के मुताबिक सिलेंडर रिफिल ना कराने के सभी 80 फीसदी मामले पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों के हैं.
पिथौरागढ़
पिथौरागढ़ में 14,117 में से 5,117 लाभार्थी ऐसे हैं, जो 3 से 6 महीने में एक बार कनेक्शन रिफिल करवाते हैं. रिफिल ना करवाने की बड़ी वजह बार-बार गैस सप्लाई बाधित होना है.
चंपावत
चंपावत जिले में 7,741 कनेक्शन उज्वला योजना के तहत दिए गए. जिसमें 1,904 सिलेंडर ही तय सीमा पर रिफिल किए जा रहे हैं. 1,100 छोटे सिलेंडर भी हैं. जिसमें से 300 ही हर महीने रिफिल होते हैं.
अल्मोड़ा और बागेश्वर