देहरादून: टिहरी गढ़वाल के शिक्षक माता-पिता का होनहार उज्ज्वल नौटियाल भी आज सेना में अधिकारी बन गया है. उज्ज्वल की इस कामयाबी पर उनके परिजन बेहद खुश हैं. उज्ज्वल की उपलब्धि पर उनकी दादी ने कहा उत्तराखंड की माटी में देश सेवा का जज़्बा है. यही कारण है कि उनके पोते ने राष्ट्र सेवा को चुना. उन्होंने कहा उज्ज्वल ने आज उनका सीना फक्र से ऊंचा कर दिया है.
देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी IMA से पास आउट होने वाले 319 भारतीय कैडेट्स में टिहरी गढ़वाल के रहने वाले उज्ज्वल नौटियाल भी हैं. उज्ज्वल ने अपने परिवार की शिक्षक वाली परंपरा को बदलकर सेना में योगदान देने का बीड़ा उठाया. उज्ज्वल नौटियाल की मां कविता नौटियाल और पिता यशवंत प्रकाश पेशे से शिक्षक हैं. उनके बेटे ने माता-पिता के पेशे को छोड़कर सेना में जाने का फैसला किया. IMA से पास आउट होकर सेना में युवा अधिकारी बने उज्ज्वल नौटियाल के माता-पिता, दादा-दादी पूरा परिवार आज बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहा है. उज्ज्वल की दादी सुमित्रा नौटियाल कहती हैं कि उत्तराखंड की धरती में ही देश सेवा का जज्बा है. जिसे उनके पोते ने स्वीकार किया है.
IMA POP 2021: लेफ्टिनेंट बने टिहरी के उज्ज्वल नौटियाल, दादी बोलीं- इस धरती में है देश सेवा का जज्बा - भारतीय सैन्य अकादमी
टिहरी गढ़वाल के रहने वाले उज्ज्वल नौटियाल भी आज IMA से पास आउट हुए हैं. इससे उनके परिजन गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. उज्ज्वल की दादी तो इतनी प्रफुल्लित हैं कि उन्होंने देश भक्ति की कविता ही सुना दी.
गांव से आज तक कोई नहीं बना सैन्य अधिकारी:ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पास आउट लेफ्टिनेंट उज्ज्वल नौटियाल के पिता यशवंत प्रकाश ने बताया कि टिहरी गढ़वाल के जिस गांव से वह आते हैं वहां आज तक कोई सैन्य अधिकारी नहीं बना है. आज उनके बेटे ने सेना में क्लास वन अधिकारी बनकर न सिर्फ अपने गांव का बल्कि उत्तराखंड का भी नाम रोशन किया है. वहीं, उज्ज्वल की मां कविता नौटियाल कहती हैं कि परिवार में वह और उनके पति शिक्षक के रूप में पहचाने जाते थे लेकिन अब उनके बेटे ने जिस तरह से भारतीय सेना में शामिल होकर कंधे पर सितारे लगाए हैं, वह उनकी नई पहचान को आगे बढ़ाएगा.
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देवभूमि की परंपरा को आगे बढ़ाएगा पोता: IMA POP से पास आउट हुए लेफ्टिनेंट उज्ज्वल नौटियाल की दादी सुमित्रा नौटियाल अपने पोते की पासिंग आउट परेड देखकर गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. दादी सुमित्रा कहती हैं उत्तराखंड की धरती देश सेवा के जज्बे से भरी है. यहां कई ऐसी वीरांगना हैं जिन्होंने अपने पति और परिवार को राष्ट्र की सुरक्षा और सेवा के लिए अपनी हसंते हुए न्यौछावर कर दिया. देश भक्ति की एक कविता सुना कर दादी सुमित्रा कहती हैं पोते ने आज देश सेवा को स्वीकार कर देवभूमि की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है. जिसकी वजह से आज वह फक्र महसूस कर रही हैं.