देहरादून: उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थियों के चलते आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. ऐसे में आपदा के दौरान हेली सेवाएं एक अहम भूमिका निभाती है. इसी क्रम में चारधाम यात्रा के दौरान भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन को हेली सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन पिछले महीने 18 अक्टूबर को हुई हेलीकॉप्टर क्रैश (kedar ghati helicopter crash incident) के बाद चारधाम यात्रा के दौरान संचालित की जा रही हेली सेवाओं पर सवाल उठने लगे हैं.
दरअसल, सवाल यही खड़ा हो रहा है कि हेली सेवाओं के तय तमाम नियमों के बावजूद हेलीकॉप्टर कैसे क्रेश हो गया? इसके साथ ही समय समय पर हेली सेवाओं के तमाम लापरवाहियां भी सामने आती रहती हैं. जिसको देखते हुए अब नागरिक उड्डयन विभाग गंभीर हो गया है. वर्तमान समय में बाबा केदारनाथ धाम के कपाट तो बंद हो गए हैं, लेकिन अगले सीजन फिर कपाट खुलने के दौरान हेली सेवाओं का संचालन शुरू हो जाएगा.
केदारघाटी हेलीकॉप्टर क्रैश घटना के बाद यूकाडा ने लिया सबक ऐसे में हाल ही में हुए हेलीकॉप्टर दुर्घटना को ध्यान में रखने हुए नागरिक उड्डयन विभाग कई बड़े बदलाव करने का निर्णय लिया है. जिससे यात्रियों को सुरक्षित तरीके से यात्रा कराई जा सके. दरअसल, यात्रा सीजन के दौरान हर साल 9 कंपनियों के हेलीकॉप्टर लगाए जाते हैं, जिससे श्रद्धालु आसानी से बाबा केदार के दर पर पहुंच सके.
डीजीसीए कर रहा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने की जांच:नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर (Civil Aviation Secretary Dilip Javalak) ने कहा 18 अक्टूबर को उत्तराखंड में जो हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त (kedarghati helicopter crash incident) हुआ, उसके निरीक्षण के लिए डीजीसीए की टीम पहुंची थी. दरअसल, डीजीसीए एयर फ्लाइट और एजेंट को कंट्रोल करती है. साथ ही एयर सेफ्टी के रेगुलेशन का भी कार्य करती है. यही नहीं, हेलीकॉप्टर या फ्लाइंग मशीन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर भारत सरकार की ओर से एक सक्षम एजेंसी डीजीसीए है, जो दुर्घटना के पूरे मामले की इन्वेस्टिगेशन करती है. साथ ही डीजीसीए की टीम नए हेलीकॉप्टर क्रैश की जगह पर भी विजिट किया. वहां से तमाम सबूतों को भी अपने साथ ले गई थी.
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डीजीसीए ने कोई रिपोर्ट अभी तक नहीं की साझा:नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर(Civil Aviation Secretary Dilip Javalak) ने कहा 18 अक्टूबर को हेलीकॉप्टर क्रैश, किस वजह से हुआ इस पर डीजीसीए की जांच प्रक्रिया जारी है. अभी तक डीजीसीए ने इस संबंध में शासन से कोई भी जानकारी साझा नहीं की है. लिहाजा इस पर अभी फाइनल टिप्पणी नहीं की जा सकती है. हेलीकॉप्टर क्रैश होने के दिन केदार घाटी का मौसम काफी अधिक खराब था. ऐसे में इसकी संभावना काफी अधिक है कि मौसम खराब होने के चलते विजिबिलिटी काफी अधिक कम हो गई होगी जिसके चलते हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ होगा.
हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त में सात लोगों की हुई थी मौत:बता दें 18 अक्टूबर को केदारनाथ से यात्रियों को लेकर वापस लौट रही हेलीकॉप्टर केदारनाथ के गरुड़ चट्टी के पास क्रैश हो गया था. जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी. यह हेलीकॉप्टर आर्यन कंपनी का था. उस दौरान मौसम खराब होना ही हेलीकॉप्टर क्रैश होने की मुख्य वजह बताई गई. मुख्य रूप से हेलीकॉप्टर क्रैश होने की सूचना मिलने के बाद ही यूकाडा और डीजीसीए की टीम स्थलीय निरीक्षण करने के लिए गरुड़ चट्टी रवाना हो गई थी. इसके, साथ ही राहत बचाव के लिए रेस्क्यू टीम की मौके पर पहुंची थी.
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यूकाडा को दिए गए हैं कार्रवाई के निर्देश:नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर( Civil Aviation Secretary Dilip Javalak) ने कहा 18 अक्टूबर को हुये हेलीकॉप्टर क्रैश होने की घटना दोबारा ना हो इसके लिए एहतियात के तौर यूकाडा को निर्देश दे दिए हैं. इतना जरूर है कि हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह मौसम खराब होना प्रतीत हुआ था. यही नहीं, केदार वैली में अमूमन मौसम की ऐसी स्थिति बनती है जिस दौरान फ्लाइ करना काफी अधिक मुश्किल हो जाता है. ऐसे में एक नया सिस्टम विकसित करने की जरूरत है ताकि मौसम को ध्यान में रखते हुए फ्लाइंग किया जाए.
बेहतर कम्युनिकेशन सिस्टम बनाने की जरूरत: सचिव दिलीप जावलकर ने बताया ऐसे में अब मौसम को ध्यान में रखते हुए अगले सीजन के लिए एक कम्युनिकेशन का ऐसा सिस्टम बनाने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे ऊपर से ही देख कर इसकी जानकारी दी जा सकेगी कि हेलीपैड पर मौसम को लेकर क्या स्थिति है. ऐसे में अगर यात्रा के दौरान कभी मौसम खराब होता है तो हेलीकॉप्टर को किस तरह से वापस बुलाया जाए, इस संबंध में भी यूकाडा को निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में इस सिस्टम के डेवेलप होने के बाद छोटे-मोटे दिक्कतों का भी निपटारा किया जा सकेगा.
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दरअसल, यूकाडा मौसम को लेकर एक ऐसा कम्युनिकेशन सिस्टम डेवलप करने जा रहा है, जिसके तहत उच्च हिमालई क्षेत्रों पर अचानक खराब होने वाले मौसम की जानकारी पायलट को दी जा सकेगी. यानी जब केदार घाटी से कोई हेलीकॉप्टर गुप्तकाशी या फटा के लिए उड़ान भरता है और इसी दौरान गुप्तकाशी या फाटा हेलीपैड के पास का मौसम खराब हो जाता है तो उसे हेलीकॉप्टर के पायलट से कम्युनिकेट कर उसे वापस बुलाया जा सके.
दरअसल, अभी हेलीकॉप्टर में मौजूद कम्युनिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल रूट तय या फिर किसी टेक्निकल खराबी के लिए किया जाता है, लेकिन मौसम खराब है इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती है. ऐसे में मौसम खराब की जानकारी पायलट तक तत्काल प्रभाव पहुंचाई जा सके, इस तरह के कम्युनिकेशन सिस्टम की जरूरत है.