देहरादून: उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) प्रदेश में हेली सेवाओं के संचालन में अहम भूमिका निभाता है. यही नहीं, हेली कनेक्टिविटी को बेहतर करने के साथ ही चारधाम यात्रा के दौरान भी यात्रियों को खासकर केदारनाथ यात्रा पर जाने के लिए एक बेहतर सुविधा उपलब्ध कराता है. लेकिन उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते प्राधिकरण करोड़ों रुपए का नुकसान करा बैठा है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि, विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन में पेश कैग रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.
उत्तराखंड में पर्यटकों की सुविधा के लिए हवाई जहाजों और हेलीकॉप्टरों के संचालन के दृष्टिगत 30 मई 2013 को उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण का गठन किया गया था. जिसके बाद साल 2015 और 2016 में चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यूसीएडीए ने हेली कंपनियों को केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर शटल सेवा की अनुमति दी थी. लेकिन इस दौरान यूसीएडीए ने यह शर्त रखी थी कि सभी हेली ऑपरेटरों को संचालन शुल्क के रूप में प्रति उड़ान, एक हजार रुपए कि धनराशि का भुगतान करना होगा.
यूसीएडीए संचालन शुल्क वसूली के लिए जिला मजिस्ट्रेट, रुद्रप्रयाग के साथ-साथ हेली कंपनियों से रोजाना दिन की उड़ानों की जानकारी लेना आवश्यक था. बावजूद इसके यूसीएडीए ने ना तो दैनिक उड़ानों की जानकारी ली और ना ही कोई राजस्व लिया. कैग रिपोर्ट के अनुसार, जब जनवरी 2020 में यूसीएडीए के अभिलेखों की जांच की गई तो इसकी जानकारी मिली. इसका मामला बाहर आने के बाद यूसीएडीए ने 31 जनवरी 2020 को डीएम, रुद्रप्रयाग से शटल सेवाओं की जानकारी मांगी. जिसके तहत साल 2015 में 14,924 और साल 2016 में 6,310 बार हेली सेवाओं का संचालन करने का पता चला.
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