देहरादून: बीते फरवरी माह में चमोली जिले में धौली गंगा में आई बाढ़ से भारी तबाही हुई थी. जिसके बाद अब प्रदेश का आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट पर है. धौली गंगा में बेमौसमी आपदा ने कई जाने लील ली थी और कई करोड़ों की संपदा को नुकसान हुआ था. अब आपदा प्रबंधन विभाग धौली गंगा के उद्गम ग्लेशियर पर पैनी नजर रख रहा है. इसके लिए विभाग की ओर से उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग को सयुंक्त जिम्मेदारी दी गई है.
यह दोनों संस्थान धौली गंगा के उद्गम उत्तरी रायकांडा और पूर्वी कामेड ग्लेशियर पर निगरानी कर उसका अध्ययन कर रहे हैं. बता दें कि कामेड ग्लेशियर का नीति दर्रा धौली गंगा का उद्गम स्थल है. उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक प्रो. एमपी एस बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड के हिमनद और ग्लेशियरों पर विभिन्न संस्थान कार्य कर रहे हैं. वहीं, प्रदेश में केंद्र सरकार की ओर से ग्लेशियरों पर कार्य करने के लिए एक अलग से संस्थान बनाने की योजना तैयार की गई थी. उसके लिए बजट भी स्वीकृत हुआ था, लेकिन वह योजना पूर्ण नहीं हो पाई.