देहरादून: त्रिवेंद्र सरकार केकार्यकाल को दो साल पूरे हो गए हैं. इन दो सालों में सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जिनमें से कुछ धरातल पर उतरे, और कुछ ने पहले चरण में ही दम तोड़ दिया. इन्हीं फैसले में से एक है निगम निगम विस्तारीकरण. सरकार ने नगर निकाय चुनाव को देखते हुए आनन-फानन में विस्तारीकरण के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल तो कर लिया. लेकिन सरकार के इन इलाकों में विकास का वादा अब भी अधूरा है.
परिसीमन को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि निगम ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं और विकास कार्य दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. नगर निगम के अधीन आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में जब विकास करना ही नहीं था तो विस्तारीकरण का क्या औचित्य है. उनका कहना है कि नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत के बावजूद भी त्रिवेंद्र सरकार और छोटी सरकार निगम परिसीमन क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था बनाने में सुस्त नजर आ रही है.
पढ़ें-हिमालयन मीट पर चौतरफा घिरी त्रिवेंद्र सरकार, विपक्ष के बाद अब संतों ने किया विरोध
वहीं, विस्तारीकरण को लेकर राजधानी देहरादून की करें तो यहां पहले नगर निगम के 60 वार्ड थे. लेकिन, परिसीमन के बाद 40 वार्ड बढ़ने से अब वार्डों की संख्या 100 हो गई है. वार्ड की संख्या में बढ़ोत्तरी तो हुई लेकिन 40 अतिरिक्त ग्रामीण वार्डों में किसी तरह की कोई प्रभावी व्यवस्था फिलहाल नहीं की गई है. उधर, नगर निगम क्षेत्र से जुड़े ग्रामीण इलाकों के लोगों को यह तो पता है कि उनका क्षेत्र नगर पंचायत की श्रेणी में आ गया है लेकिन, अभी तक किसी तरह का विकास न होने की वजह से ग्रामीणों में मायूसी है.