देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी सिस्टम की पोल खोलने वाला इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा, कि 10 साल पुराने मामले में पहाड़ की 2 महिलाओं को प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल तक से न्याय नहीं मिल पा रहा है. नतीजतन दस साल पहले के 14 महीनों का भुगतान पाने के लिए आज भी ये महिलाएं इंतजार कर रही हैं. सरकारी दफ्तरों से लेकर अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद भी इन महिलाओं ने आज भी हार नहीं मानी है. वे आज भी अपनी लड़ाई बदस्तूर लड़ रही हैं.
उत्तराखंड में जरूरतमंदों तक सरकार कैसे पहुंचेगी, जब सरकार तक पहुंचने वाले लोगों को ही सिस्टम नहीं सुनता. साफ है कि पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने, जनता दरबार का भरोसा और हेल्पलाइन जैसे सब दावे केवल बातूनी हैं. वन विभाग के इस मामले को देख कर तो कुछ यही समझ आता है.
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बता दें कि साल 2011-12 में पौड़ी जनपद के यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में स्थित तिमली अकरा ग्राम सभा की दो महिलाओं को पर्यावरण संरक्षण को लेकर अहम जिम्मेदारी दी गई. इस गांव की विमला देवी और सुमन ने योजना के तहत न केवल पौधारोपण किए बल्कि यहां चौकीदारी भी की. करीब 14 महीने तक चौकीदारी करने के बाद इनको विभाग में योजना के तहत जो भुगतान किया जाना था वह 10 साल बाद भी अब तक नहीं हो पाया है.
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यह बात वन विभाग के सिस्टम पर ही सवाल खड़ा करती है. विभाग में मामला बस इतना ही नहीं है. दरअसल आरोप है कि इन महिलाओं के द्वारा किए गए काम के भुगतान का पैसा उसी समय निकाल लिया गया जो कि उन महिलाओं तक कभी पहुंचा ही नहीं. गंभीर बात यह है कि साल 2012 में काम पूरा होने के बाद से ही लगातार इन महिलाओं की तरफ से भुगतान की मांग की जा रही है. साल 2017 में इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में भी शिकायत की गई. जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से राज्य सरकार को इस संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय के इस पत्र का भी अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ.