देहरादून: उत्तराखंड सरकार की तरफ से कोरोना को देखते हुए 2021-22 को शून्य तबादला सत्र (Zero transfer session in Uttarakhand) घोषित किया गया है. बावजूद इसके शिक्षा विभाग में चहेतों के लिए खेल जारी है. ताजा मामला दो शिक्षकों के तबादले से जुड़ा है. जिन्हें रामनगर बोर्ड में शोध अधिकारी के पद पर तैनाती दे दी गई है.
जिन दो शिक्षकों का तबादला हाल में किया गया है, उसमें एक शिक्षक शैलेंद्र जोशी नैनीताल से हैं तो दूसरे शिक्षक राम चंद्र पांडे उत्तरकाशी से हैं. इन दोनों ही शिक्षकों का तबादला शून्य तबादला सत्र के दौरान रामनगर बोर्ड में कर दिया गया है. जिस पर राजकीय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने गहरी नाराजगी जताई है. साथ ही शासन-प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
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उत्तराखंड राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने पूरे मामले में नाराजगी जताते हुए पूरे प्रकरण पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भेदभाव का आरोप लगाया है. उनके मुताबिक शिक्षा विभाग में लंबे समय से तबादलों में शिक्षकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. विभाग में सीधे तौर पर चहेतों को सुगम क्षेत्र में तबादला दिया जा रहा है. जबकि अन्य जरूरतमंद शिक्षकों की सुनने वाला कोई नहीं है.
उन्होंने तबादला एक्ट की धारा-27 के तहत होने वाले तबादलों पर सीधे तौर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस धारा के तहत हुए कई तबादलों में भेदभाव किया गया है. वहीं, शून्य तबादला सत्र के दौरान 2 शिक्षकों का तबादला कर दिया जाना इस बात की पुष्टि भी करता है. ऐसे में संघ की ओर से इस विषय में शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक को शिकायती पत्र लिखा जाएगा. तत्काल प्रभाव से शून्य तबादला सत्र में किए गए इन तबादलों को निरस्त करने की मांग की जाएगी.