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बढ़ती अनियमित जीवनशैली और तनाव जीवन के लिए खतरनाक, डॉक्टरों ने बताए चौंकाने वाले तथ्य

एम्स में मेडिसिन विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय वर्ल्ड कांग्रेस ऑन क्रोनोमेडिसिन, उत्तराखंड कॉर्डियब कॉन कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. इसमें नींद की गुणवत्ता की भूमिका, दिमागी तनाव आदि विषयों पर चर्चा की गई.

क्रोनोमेडिसिन कांफ्रेंस

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Published : Oct 20, 2019, 12:33 PM IST

Updated : Oct 20, 2019, 1:37 PM IST

ऋषिकेशः वर्तमान समय में आधुनिक जीवनशैली लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रही है. खासकर तनाव के कारण लोग अनेक तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. समय पर भोजन, व्यायाम व अन्य जीवनापयोगी गतिविधियों का पालन न होने के कारण खतरनाक परिणाम सामने आ रहे हैं. इस बात का खुलासा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में मेडिसिन विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय वर्ल्ड कांग्रेस ऑन क्रोनोमेडिसिन, उत्तराखंड कॉर्डियब कॉन कांफ्रेंस- 2019 में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने किया. विशेषज्ञों ने अपने अनुसंधान व अध्ययन के आधार पर अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे. विशेषज्ञों की मानें तो आज के दौर समय के विपरीत खाने और सोने की वजह से लोगों में तेजी से बीमारियां बढ़ रही हैं.

क्रोनोमेडिसिन कांफ्रेंस-2019

इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत ने संस्थान में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की सराहना की. उन्होंने कहा कि कैंसर की दवाइयां कोशिका चक्र पर आधारित हैं. कैंसर कीमोथैरेपी का असर विभिन्न कोशिका चक्र की फेस पर होता है.

इस मौके पर एम्स निदेशक ने इस बात पर जोर दिया कि अधिक से अधिक इंटिफिक पेपर क्रोनोमेडिसिन विषय में तैयार किए जाएं, जिससे मेडिकल के क्षेत्र में उचित स्तर पर कामयाबी मिल सके. इस अवसर पर प्रो. रवि कांत ने न्यूरोफिजियोलॉजी के प्रो. बी.एस. शंकरनारायण राव को श्यामा कृष्णा मेमोरियल ओरेशन अवार्ड से सम्मानित किया.

प्रो. राव ने बताया कि उन्होंने कई प्रयोगों व अध्ययन से सिद्ध किया है कि दुनिया में आने वाले अवसाद (डिप्रेशन) व तनाव ( स्ट्रेस ) का दिमाग के किसी विशेष भाग पर बहुत बड़ा दुष्प्रभाव डालता है. उन्होंने इसी प्रयोग का अध्ययन चूहों पर भी किया और पाया कि दिमाग की विशेष तंत्रिकाओं पर अवसाद व तनाव का प्रभाव पड़ता है.

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सम्मेलन में 1,300 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित कराने वाले डा. आर.बी. सिंह ने बताया कि दिनचर्या व व्यवहार का प्रभाव दिमाग के रास नामक विशेष हिस्से पर पड़ता है, जो कि उच्चरक्तचाप का कारण है. इस दौरान उन्होंने कई स्लाइड के माध्यम से मैटाबोलिक सिंड्रोम में नींद की गुणवत्ता की भूमिका, दिमागी तनाव, खाने का समय व शरीर का वजन आदि विषयों पर भी चर्चा की गई.

Last Updated : Oct 20, 2019, 1:37 PM IST

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