देहरादून: इसे रिवर्स पलायन कहें या फिर अपने गांव के प्रति लगाव कि शहर के चकाचौंध छोड़कर गोविंद सिंह अपनी धर्मपत्नी के साथ अपने गांव वापस लौटे. जहां उन्होंने अभिनव प्रयासों से गांव की सूरत बदल ही दी. दरअसल, गोविंद सिंह अपनी पत्नी मनीषा के साथ देहरादून में रहते थे. यहीं पर वे अपनी नौकरी करते थे. मगर यहां रहते हुए भी वे हमेशा से ही अपने गांव से जुड़े रहे. हमेशा उनके मन में गांव के लिए कुछ करने का विचार आता रहता था. ऐसा सोचते-सोचते एक दिन एक दिन ऐसा कदम उठाया कि इससे आज इस गांव की सूरत ही बदल गई है.
दरअसल, गोविंद सिंह ने 2018 के पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी मनीषा देवी को प्रधान का चुनाव लड़वाया, और वह जीत भी गई. इसके बाद उन्होंने शहर में रहकर जो कुछ भी सीखा था उसका प्रयोग उन्होंने अपने गांव में किया. नतीजा आज उनके गांव में सड़क, पीने के पानी के साथ ही अन्य कई सुविधाएं बिना किसी सरकारी साहयता के मौजूद हैं.
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पिथौरागढ़ जिले की गंगोलीहाट विधानसभा के टुंडा चौड़ा गांव से आने वाले दंपति गोविंद सिंह और मनीषा देवी ने अपने गांव में 8 महीने में विकास की गंगा बहा दी. उन्होंने 10-15 साल से सूख चुके गांव के सूखे जलस्रोत को एक बार फिर से जीवित किया. गोविंद सिंह नेगी ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने देहरादून में हेस्को संस्था द्वारा किए जा रहे हैं जल स्रोतों के पुनर्जीवन की प्रक्रिया को देखा. जिसके बाद उन्होंने अपने गांव में चाल खाल योजना के तहत जंगलों में बड़े बड़े तालाब बनाए. जिससे उन्होंने पिछले 15 से 20 साल सूखे जल स्रोतों को एक बार फिर से जीवित किया.