ऋषिकेश: शहर में कूड़ा कलेक्शन सिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए नगर निगम प्रशासन ने नया तंत्र विकसित किया है. 40 वार्डों के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को शामिल कर त्रिवेणी सेना बनाई है. यह सेना अब शहर में घर-घर कूड़ा कलेक्शन शुल्क वसूलेगी. इससे न सिर्फ समूह से जुड़ी महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होंगी, बल्कि नगर निगम की आमदनी भी बढ़ेगी.
दरअसल, शहरी क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए यह योजना राज्य के कई निकायों में कारगर साबित हुई है. लिहाजा, अब इस योजना का क्रियान्वयन ऋषिकेश में भी एक मई से किया जा रहा है. 20 महिला स्वयं सहायता समूहों की 200 महिलाओं को योजना में शामिल किया गया है. एक मई से समूह की महिलाएं नगर क्षेत्र में घर-घर का सर्वे कर डाटा तैयार करेंगी. इसके बाद कूड़ा कलेक्शन के शुल्क की वसूली उन्हीं के जिम्मे होगी. कूड़ा कलेक्शन से जुड़ी समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए वह निगम को अवगत कराएंगी. वार्डों में साफ-सफाई व्यवस्था का फीडबैक भी अधिकारियों को देंगी.
पढ़ें-पूरे विधि-विधान के साथ खोले गए बदरीनाथ के कपाट, पीएम मोदी के नाम से हुई पहली पूजा
शुल्क की नियमित वसूली से निगम की आय में बढ़ोतरी की उम्मीद है. योजना के तहत वसूली की धनराशि का 25 फीसदी हिस्सा महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया जाना है, बाकी की रकम नगर निगम में जमा होनी है. नगर निगम प्रशासन ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत पंजीकृत समूहों की महिलाओं को योजना का हिस्सा बनाया है. शुरुआत में एक समूह को दो वार्डों की जिम्मेदारी दी गई है.
हर महीने मिलेंगे 25 हजार:स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए रोजगार का यह नया मौका है. कुल 20 स्वयं सहायता समूहों को शहर में 40 वार्ड का जिम्मा दिया गया है, जिसमें एक समूह पर दो वार्ड की जिम्मेदारी है. निगम के अधिकारियों के मुताबिक एक वार्ड से करीब 50 हजार रुपये से ज्यादा कूड़ा कलेक्शन शुल्क के तौर पर मिलने की उम्मीद है. दो वार्ड के कुल एक लाख रुपये को समूह निगम में जमा कराएगा. ऐसे में उन्हें इस रकम से 25 प्रतिशत यानी 25 हजार रुपये से अधिक दिए जाएंगे. एक समूह में करीब 10 महिलाएं का ग्रुप है.
पढ़ें-Chardham Yatra: तीन धामों में अभीतक 95,617 भक्तों ने किए दर्शन, बदरीनाथ धाम के 27 को खुलेंगे कपाट