देहरादूनः उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता. राज्य का सैन्य इतिहास वीरता और पराक्रम के असंख्य कहानी को खुद में समेटे हुए है. यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, वे अब प्रदेश की सीमाओं में ही न सिमट कर देश-विदेश में फैल गई है. देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं. इन युवाओं में देहरादून के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी का जज्बा काबिले तारीफ है.
1 फरवरी 2019 को बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज-2000 ने उड़ान भरी, लेकिन कुछ ही देर बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में विमान में सवार दोनों पायलट शहीद हो गये. इस शहादत में एक नाम देहरादून के सिद्धार्थ नेगी का भी था.
शहीद सिद्धार्थ नेगी की अस्थियां सोमवार को हरिद्वार के कनखल स्थित सती घाट पर विसर्जित की गईं. सिद्धार्थ के पिता ने नम आंखों से अपने बेटे की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया. इस दौरान घाट पर मौजूद लोग अपने लाल को याद कर रो पड़े.