देहरादून: लॉकडाउन की वजह से हजारों दिहाड़ी मजदूरों पर रोजगार का संकट छाया हुआ है. जिसकी वजह से मजदूरों के सामने खाने-पीने के लाले पड़े हुए हैं. फैक्ट्रियां, दुकानें बंद होने से मजदूरों के पास काम नहीं रह गया है. फैक्ट्रियों और उद्योग बंद होने से व्यापारियों के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है. ETV BHARAT ने राजधानी देहरादून में मजदूरों और व्यापारियों से बात की और उनकी समस्याओं को जाना.
मजदूरों के मुताबिक, कुछ व्यापारी मुसीबत के समय ना सिर्फ पैसे से मदद कर रहे हैं, बल्कि उनके और परिवार के स्वास्थ्य के साथ अन्य जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं. हालांकि, कुछ मजदूरों की राय इससे उलट है. मजदूरों का कहना है कि वर्षों तक काम करने के एवज में उन्हें वह मदद मालिक से नहीं मिल रही है, जिसकी उन्हें इस वक्त बहुत ही जरूरत है.
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'दिहाड़ी मजदूरों का हाल सही नहीं'
देहरादून के आटे की चक्की में दिहाड़ी मजदूर कमल दास बताते हैं कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ हैं. तब से ढील के दौरान वह सिर्फ 4 घंटे ही चक्की में काम कर रहा है. ऐसे में उन्हें मात्र 120 रुपए ही मालिक द्वारा दिया जाता है. जो परिवार चलाने के लिए नाकाफी साबित हो रहा है. कमल दास के मुताबिक कई वर्षों से वह आटा की चक्की पर काम करते हैं, लेकिन इस संकट की घड़ी में मालिक की तरफ से पूरी मजदूरी नहीं मिल पा रहा.