विकासनगरः जौनसार बावर क्षेत्र के मोहना गांव (Mohana village) में चालदा महासू महाराज (Chalda Mahasu Devta) के दर्शन और उनकी पावन डोली यात्रा में शामिल होने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज (tourism minister satpal maharaj) भी डोली यात्रा में शामिल होने पहुंचे. इस दौरान आस्था का ऐसा समागम देखने को मिला. जिसे देख हर कोई हैरान रह गया. चारों ओर श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई. पूरा इलाका महासू देवता के जयकारों से गुंजायमान रहा. वहीं, चालदा महासू महाराज की देव डोली मोहना से खत समाल्टा के लिए रवाना हुई.
बता दें कि बीते 23 नवंबर 2019 यानी 36 साल के बाद चालदा महासू महाराजका आगमन मोहना गांव में हुआ था. यहां दो साल रहने के बाद चालदा महासू महाराज (Chalda Mahasu Maharaj) की डोली ने समाल्टा के लिए प्रस्थान किया. आज देव डोली चकराता के ठाणा गांव में रात्रि प्रवास पर रहेगी. मंगलवार को समयानुसार खत समाल्टा के लिए रवाना होगी. जहां इस पावन यात्रा में हजारों की संख्या में लोग देव डोली के साथ समाल्टा के लिए प्रस्थान करेंगे.
चालदा महासू महाराज की डोली यात्रा में शामिल हुए सतपाल महाराज. ये भी पढ़ेंःमहासू देवता मंदिर में शिव का जलाभिषेक कर गायब हो जाती है जलधारा, रहस्यों को समेटे है ये धाम
वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) ने मोहना पहुंचकर चालदा महाराज (Chalda Maharaj) का आशीर्वाद लिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि चकराता के मोहना धाम में चालदा महासू महाराज के दर्शनों के लिए विशाल धार्मिक आयोजन किया गया था. जिसमें उन्होंने भी प्रतिभाग किया. महाराज ने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि उन्हें भी इस धार्मिक अनुष्ठान और चालदा महासू महाराज की पावन डोली यात्रा में शामिल होने का अवसर मिला.
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जौनसार बावर समेत हिमाचल के ईष्ट देवता हैं महासूःबता दें कि प्रसिद्ध महासू देवता (Mahasu Devta) चार भाई हैं. जिनमें बोठा महासू, बाशिक महासू, पवासी महासूऔर चालदा महासू हैं. बोठा महासू हनोल मंदिर (Hanol Mahasu Temple)में विराजमान हैं. जबकि, बाशिक महाराज का मंदिर मैंद्रथ में स्थित है. वहीं, पवासी देवता का मंदिर हनोल के कुछ ही दूरी पर ठडियार में है. वहीं, चालदा महासू को छत्रधारी महाराज भी कहते हैं. चालदा महासू जौनसार बावर के जनजाति क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश (himachal Pradesh) में भी इष्ट देव के रूप में पूजे जाते हैं. वहीं, महासू देवता के मंदिर लगभग हर जगहों पर है.