पर्यटकों ने उत्तराखंड से बनाई दूरी देहरादून: उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां, नदियां, पहाड़ और यहां के धार्मिक स्थलों को देखने और मत्था टेकने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. उत्तराखंड के चारधाम हों या बर्फीले पर्यटक स्थल सभी जगहों पर देश के कोने कोने से लोग यहां पहुंचते हैं. उत्तराखंड में एक बड़े तबके की आर्थिकी पूरी तरह से पर्यटन पर टिकी रहती है. मगर ये भी उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि यहां एक आपदा के जख्म कम नहीं होते कि तब तक दूसरा झटका लोगों की परेशानियां बढ़ा देता है. अब ऐसा ही एक बार फिर से जोशीमठ आपदा के बाद दिखाई दे रहा है.
ये वक्त उत्तराखंड में स्नो सीजन का होता है. उत्तराखंड के मसूरी, चकराता और जोशीमठ के औली, धनौल्टी, नैनीताल जैसे हिल स्टेशन पर पर्यटक भारी तादाद में आते हैं. खूबसूरत पहाड़ों पर होने वाली बर्फ़बारी के बाद यहां के होटल, टैक्सी और पर्यटन से जुड़े तमाम लोग पर्यटकों के स्वागत के लिए बहुत तैयारी करते हैं. इस बार उत्तराखंड के जोशीमठ में सामने आई इन सभी घटनाओं के बाद एक बार फिर से पर्यटक पहाड़ बेहद काम चढ़ रहे हैं.
आलम ये है कि जिस औली में जनवरी में लोगों की तादात लाखों में पहुंच जाती थी, अब वो औली भी सूनी पड़ी हुई है. पर्यटक यहां आ तो रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है. औली में जब भी पर्यटक आते हैं तो उसका फायदा ना केवल औली बल्कि चमोली, कर्णप्रयाग, गौचर, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार के व्यापारियों को भी मिलता है. यहीं से होकर आपको औली तक पहुंचना पड़ता है. मगर इस बार जोशीमठ के खबरों ने पर्यटकों के कदम रोक दिये हैं. पढ़ें-Joshimath Sinking: जोशीमठ में लगे 'NTPC Go Back' के पोस्टर, अतुल सती ने ब्लास्टिंग को जिम्मेदार ठहराया
रेस्टोरेंट और होटल मालिक निराश:इन सब हालातों से उत्तराखंड के होटल से लेकर टैक्सी और रेस्टोरेंट वाले बेहद निराश हैं. उनका कहना है कि जो फ्लो इस समय उत्तराखंड में इस वक्त रहता था वो अचानक से कम हुआ है. मसूरी में हालात इस वक्त ये होते थे कि पुलिस को भी रास्ते बंद करने पड़ते थे. मसूरी में उन्हीं लोगों को एंट्री दी जाती थी जो लोग पहले से होटल बुक करवा कर आते थे. लेकिन जोशीमठ के हालातों के बाद उसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ रहा है.
मसूरी में रेस्टोरेंट चलाने वाले गुरप्रीत कहते हैं कि जोशीमठ की खबरों ने लोगों को डरा दिया है. इस वजह से लोग अब मसूरी भी नहीं आ रहे हैं, जबकि धनौल्टी में बर्फ़बारी शुरू हो गयी है. ऐसे में यहां फुर्सत नहीं मिलती थी, लेकिन अभी ऐसा नहीं है. इसके साथ ही उत्तराखंड में कई होटल चलाने वाले जगजीत कुकरेजा कहते हैं कि सरकार जोशीमठ में अपना काम कर रही है. ऐसा नहीं है कि पूरे जोशीमठ या उत्तराखंड में इसका प्रभाव है.
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जोशीमठ के अलावा यहां आयें, सब है सुरक्षित: ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष रजत अग्रवाल उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों से अपील कर रहे हैं कि ऐसा नहीं है कि जोशीमठ के बाद सभी जगहों पर दरारें आ रही हैं. जोशीमठ के अलावा भी उत्तराखंड में कई जगहें हैं जो सुरक्षित हैं. यहां बर्फ़बारी और दूसरे रमणीक स्थलों का आप आनंद ले सकते हैं. जिसमें चकराता से लेकर मसूरी, नैनीताल, मुनस्यारी, धनौल्टी, रानीखेत जैसी खूबसूरत जगहें हैं. जहां सब कुछ सुरक्षित है.
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टैक्सी बुकिंग हो रही है कैंसिल: हरिद्वार में ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले सुमित श्रीकुंज बताते हैं कि जोशीमठ में जो कुछ भी हो रहा है वो एक छोटी सी जगह पर है. लेकिन फ़ोन करने वाले पर्यटक अगर जोशीमठ से 200 किलोमीटर दूर भी जाना चाहते थे तो उनको समझाना बेहद मुश्किल हो रहा है. कई लोग बुकिंग कैंसिल करवा रहे हैं जबकि वो खुद और ट्रैवल से जुड़े तमाम लोग टूरिस्टों को बहुत समझाने का प्रयास भी कर रहे हैं. सुमित कहते हैं ऐसे में सरकार को आगे आकर इस बात का ध्यान रखना होगा कि जोशीमठ का असर दूसरी जगहों पर न पड़े.
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पर्यटन मंत्री बोले पर्यटकों को हम देंगे सन्देश: उत्तराखंड सरकार में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी इस बात को बखूबी समझते हैं. वे कहते हैं कि भ्रामक और बेबुनियाद खबरों से सभी चीजों पर असर पड़ता है. लेकिन हम खुद और पूरी सरकार के जरिये लोगों में विश्वास बनाना चाहते हैं कि यहां सब सुरक्षित है. सतपाल महाराज ने कहा औली भी लोगों के लिए खुला है. जोशीमठ पर भी हमारी सरकार अच्छे तरीके से काम कर रही है. जल्द ही वहां भी हालात बेहतर हो जायेंगे.
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उत्तराखंड की जीडीपी में 35 प्रतिशत योगदान पर्यटन का: बता दें लगभग एक करोड़ 20 लाख जनसख्या वाले उत्तराखंड में साहसिक, शीतकालीन और धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हमेशा से रही हैं. मौजूदा समय में प्रदेश की जीडीपी में 35 प्रतिशत योगदान पर्यटन क्षेत्र का है. इसे और बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं. बीते कुछ सालों से उत्तराखंड में पर्यटन बढ़ा है तो वहीं कभी कोविड तो कभी बारिश, कभी भूकंप तो कभी जोशीमठ जैसी घटनाओं की वजह से प्रदेश को आर्थिकी के स्तर पर नुकसान उठान पड़ा है. इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि जोशीमठ में जो कुछ भी हो रहा है वो कुछ वार्ड या एक छोटे से हिस्से में है. इसलिए अगर आप जोशीमठ के हालातों को बाद अपना प्लान कैंसिल कर रहे हैं तो ऐसा बिल्कुल ना करें, क्योंकि उत्तराखंड की की खूबसूरत वादियां आपका इन्तजार कर रही हैं.