देहरादून: आज हिम पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा की पुण्यतिथि है. उनका जन्म 25 अप्रैल 1919 को हुआ था. संयोग से उसी महीने की 13 अप्रैल को अमृतसर का जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था. बहुगुणा का जन्म पौड़ी जिले के बुधाणी गांव में हुआ था.
डीएवी कॉलेज से हुई पढ़ाई
उनकी पढ़ाई डीएवी कॉलेज में हुई. पढ़ाई के दौरान ही हेमवती नंदन बहुगुणा का संपर्क लाल बहादुर शास्त्री से हो गया था. इससे उनका राजनीति की ओर रुझान हो गया.
छात्र आंदोलन में रहे सक्रिय
1936 से 1942 तक हेमवती नंदन बहुगुणा छात्र आंदोलनों में शामिल रहे थे. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हेमवती नंदन की सक्रियता ने उन्हें लोकप्रियता दिला दी. अंग्रेजों ने उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 5 हजार का इनाम रखा था. आखिरकार 1 फरवरी 1943 को दिल्ली की जामा मस्जिद के पास हेमवती नंदन बहुगुणा गिरफ्तार हो गए थे. 1945 में छूटे तो फिर से आजादी के आंदोलन में सक्रिय हो गए.
यूपी की राजनीति में था बड़ा नाम
आजादी के बाद बहुगुणा उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो गए. 1952 से वो लगातार यूपी कांग्रेस कमिटी के सदस्य रहे. 1957 में पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी रहे. ऐसा माना जाता है कि सरकार जिसको मंत्री नहीं बना पाती, उसे ये पद दे देती है. पर इससे ये पता चलता है कि हेमवती नंदन बहुगुणा की अनदेखी करना सरकार के लिए आसान नहीं था. 1958 में सरकार में श्रम और उद्योग विभाग के उपमंत्री रहे. 1963 से 1969 तक यूपी कांग्रेस महासचिव के पद पर रहे.
कांग्रेस में कई बड़े पद संभाले
1967 में आम चुनाव के बाद बहुगुणा को अखिल भारतीय कांग्रेस का महामंत्री चुना गया. इसी साल चरण सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी. फिर 1969 में इंदिरा गांधी को लेकर ही बवाल मच गया. कांग्रेस दो फाड़ हो गई. त्रिभुवन नारायण सिंह जैसे नेता कामराज के सिंडिकेट ग्रुप में चले गए. कमलापति त्रिपाठी और हेमवती नंदन बहुगुणा, इंदिरा गांधी के साथ चले गये. त्रिभुवन नारायण सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए उपचुनाव में एक पत्रकार रामकृष्ण द्विवेदी से हार गए. इसके बाद कमलापति त्रिपाठी को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया. पर पीएसी विद्रोह के चलते उनको भी पद छोड़ना पड़ा. विद्रोह के अलावा कमला सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप थे.
हेमवती नंदन बहुगुणा 1971 में पहली बार सांसद बने थे. उन्हें उम्मीद थी कि इंदिरा गांधी का लगातार सपोर्ट करने की वजह से उनको कोई ताकतवर पद मिलेगा. पर संचार विभाग में जूनियर मिनिस्टर ही बन पाए थे. उस वक्त ये इतने नाराज हुए थे कि 15 दिन तक मंत्री का चार्ज ही नहीं लिया था. आखिर इंदिरा गांधी ने बहुगुणा को स्वतंत्र प्रभार दे दिया था.
1973 में बने यूपी के मुख्यमंत्री
हेमवती नंदन बहुगुणा 8 नवंबर 1973 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. वो दो बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे. जब देश में इमरजेंसी लगी तो वो संजय गांधी के व्यवहार से नाखुश थे. उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.