देहरादून: वाइल्ड लाइफ के लिहाज से बेहद संवेदनशील राजाजी नेशनल पार्क में एक बाघिन के लापता होने का मामला सामने आया तो पूरे महकमे में ही हड़कंप मच गया. यूं तो किसी बाघिन के अपने क्षेत्र से गायब होना अपने आप में बेहद गंभीर मामला है, लेकिन यदि कोई बाघिन सरकार के करोड़ों के किसी प्रोजेक्ट से जुड़ी हो तो उस बाघिन का लापता होना मामले की गंभीरता को और भी बढ़ा देता है.
उत्तराखंड वन महकमे में एक बाघिन के लापता होने का बेहद अजीब मामला सामने आया है. अजीब इसलिए क्योंकि एक तरफ बाघिन के महीनों से गायब होने की बात सामने आती है, तो दूसरी तरफ अधिकारियों के मामले पर लुका छुपी करने का अंदाज घटनाक्रम में कई सवाल खड़े कर देता है.
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खबर है कि बाघिन पिछले ढाई से तीन महीने से क्षेत्र से गायब है और किसी भी कैमरे पर वह नहीं नजर आ पाई है. उधर मामले के सार्वजनिक होते ही अधिकारी दावा करने लगे हैं कि बाघिन के पद चिन्ह बड़कोट वन क्षेत्र में मिले हैं. जबकि बाघिन पिछले करीब 6 सालों में कभी राजाजी क्षेत्र से बाहर नहीं गयी.
बहरहाल, क्षेत्र में कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है. दो हाथियों पर कर्मचारियों को भी बाघिन को ढूंढने के लिए लगा दिया गया है. प्रमुख वन संरक्षक रंजना काला इस मामले को बेहद गंभीर बताती हैं. उनका कहना है कि मामला गंभीर है और उन्हें बाघिन के बड़कोट क्षेत्र में होने की बात बताई गई है. ऐसे में अधिकारियों को बाघिन की खोजबीन के लिए निर्देशित किया गया है.