देहरादून: प्रदेश में बाघों को लेकर एक बार फिर वन महकमा कठघरे में आ गया है. जिसने वन महकमे के अधिकारियों और कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है. उत्तराखंड वन विभाग में फिलहाल चल रहे सबसे जरूरी प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े होने लगे हैं. मामला कॉर्बेट नेशनल पार्क से राजाजी में बाघों के रीलोकेट होने का है. दरअसल, बीते दिन जिस बाघ को राजाजी नेशनल पार्क में रीलोकेट कर छोड़ने के दावे किए गए, लेकिन हकीकत में उसे काफी देरी से छोड़ा जा सका. यही नहीं बाघ अपना कॉलर आईडी को हटाकर भागने में कामयाब रहा. जिससे वन महकमे की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं.
उत्तराखंड वन विभाग में राजाजी नेशनल पार्क से बाघिन के लापता होने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि करोड़ों रुपए के बाघों के रीलोकेट होने से जुड़े मामले में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, निदेशक राजाजी समेत वह तमाम अधिकारी सवालों के घेरे में हैं. जिन की भूमिका बाघों के रीलोकेट से जुड़ी है. जानकारी के अनुसार जिस बाघ को बीते दिन कॉर्बेट से राजाजी लाया गया था वह अपना कॉलर आईडी हटाकर बाड़े से भाग निकला. आपको बता दें कि 2 दिन पहले ही राजाजी नेशनल पार्क से इस बाघ को छोड़े जाने का दावा किया गया था, लेकिन हकीकत में यह बाघ पार्क में ही बनी एक झोपड़ी में छिपा हुआ था. जहां से इसे जंगल की तरफ रवाना करने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन बाघ यहां से निकल गया.
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