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11वें पंचेन लामा का मसूरी में मनाया गया 30वां जन्मदिन, दिल्ली तक निकाला जाएगा शांति मार्च

ऑल इंडिया तिब्बती महिला एसोसिएशन के अध्यक्ष डोमा यंगचेन और जनरल सेक्रेटरी ताशी लामो बताते हैं कि 1989 में दसवीं पंचेन के निधन के बाद 1995 में दलाई लामा ने 6 साल के पंचेन लामा को अपने पुनर्जन्म के रूप में मान्यता दी थी. अधिकारिक मान्यता के कुछ ही दिनों बाद चीनी सरकार ने उनका अपहरण कर लिया और उनके परिवार को भी हिरासत में ले लिया था.

11वें पंचेन लामा की 30वीं वर्षगांठ.

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Published : Apr 25, 2019, 2:52 AM IST

Updated : Apr 25, 2019, 6:50 AM IST

मसूरी:तिब्बत के बौद्ध समुदाय में दूसरे सबसे बड़े आध्यात्मिक गुरु माने जाने वाले 11वें पंचेन लामा की बीते रोज 30वीं जन्म वर्षगांठ मनाई गयी. इस दौरान तिब्बती समुदाय ने बौद्ध मंदिर में विशेष पूजा कर पंचेन लामा की लंबी उम्र की कामना करते हुए चीन सरकार से उनकी रिहाई की मांग की. साथ ही आज 25 अप्रैल को समुदाय की महिला मंडल द्वारा अखिल भारतीय शांति मार्च का आयोजन किया जाएगा.

11वें पंचेन लामा की 30वीं वर्षगांठ.

तिब्बती समुदाय के अनुसार 24 साल पहले पंचेन लामा का ची न सरकार के अधिकारियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था. जिसके बाद से अबतक उनका कोई पता नहीं चल पाया है. उन्होंने बताया कि अनेक गैर सरकारी संगठनों और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पंचेन लामा के ठिकाने के बारे में चीन सरकार से पूछा लेकिन चीन सरकार ने अभी तक कोई भी सकारात्मक जवाब नहीं दिया है.

तिब्बती समुदाय के लोग बताते हैं कि साल 2015 में चीन सरकार ने गुमराह करने के लिए पुष्टि की थी कि पंचेन लामा आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और उनके माता-पिता नहीं चाहते कि उनकी शिक्षा में बाहरी वातावरण के कारण कोई रुकावट आए. समुदाय ने चीन के इस बयान को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि चीन सरकार ने पंचेन लामा का एक भी चित्र जारी नहीं किया है, जिससे यह साबित हो सके कि वह ठीक हैं.

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ऑल इंडिया तिब्बती महिला एसोसिएशन के अध्यक्ष डोमा यंगचेन और जनरल सेक्रेटरी ताशी लामो बताते हैं कि 1989 में दसवीं पंचेन के निधन के बाद 1995 में दलाई लामा ने 6 साल के पंचेन लामा को अपने पुनर्जन्म के रूप में मान्यता दी थी. अधिकारिक मान्यता के कुछ ही दिनों बाद चीनी सरकार ने उनका अपहरण कर लिया और उनके परिवार को भी हिरासत में ले लिया था. जिनका आजतक कुछ पता नहीं चला है.

वे बताते हैं कि चीनी अधिकारियों ने कई राष्ट्रीय सरकार और यूनाइटेड नेशन के पंचेन लामा को रिहा करने के अनुरोध को अस्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि तिब्बती समुदाय 25 अप्रैल को देहरादून से दिल्ली तक शांति मार्च का आयोजन करेगा. साथ ही विभिन्न तिब्बती संघ भी इस शांति मार्च में हिस्सा लेंगे.

वहीं जाने-माने लेखक गणेश शैली इतिहास का जिक्र करते हुए बताते हैं कि 1959 में दलाई लामा तिब्बत से अपने अनुनाइयों के साथ मसूरी आए थे. जहां तत्कालिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उनसे बिरला हाउस में मिले थे. उन्होंने कहा कि उस समय दलाई लामा को जो ओरा था, वह बेहद आकर्षक था.

पंचेन लामा की रिहाई के समर्थन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सभी देशों को तिब्बती समुदाय की मांग का समर्थन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पंचेन लामा को चीन सरकार से वापस तिब्बत समुदाय को देने की मांग करनी चाहिए. तिब्बत और भारत के सौहार्दपूर्ण रिश्ते का हवाला देते हुए गणेश शैली कहते हैं कि दोनों ही देश के लोग आपस में बड़े प्यार के साथ रहते हैं. ऐसे में तिब्बत समुदाय की लड़ाई के लिए भारत सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए.

Last Updated : Apr 25, 2019, 6:50 AM IST

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