देहरादून: ब्रिटिश हुकूमत 1857 के दौरान वर्चस्व में आकर एकदम सटीक और खतरनाक तरीके से अपने निशाने को नेस्तनाबूद कर देने वाली ऐतिहासिक थ्री नॉट थ्री राइफल बहुत जल्द उत्तराखंड पुलिस के कंधों से हमेशा के लिए रुख़सत हो जाएगी. इसकी जगह अब पुलिसकर्मियों को इंसास रायफल दी जाएगी. समय की मांग और हथियारों के आधुनिकीरण को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने ये फैसला लिया है.
थ्री नॉट थ्री राइफल का रखरखाव कठिन
जानकारों की मानें तो 163 साल पुराने थ्री नॉट थ्री राइफल जैसे भारी-भरकम हथियार का अपग्रेडेशन और रखरखाव जरूरत के मुताबिक न होने से आज इसका वर्चस्व पूरी तरह मिट चुका है. थ्री नॉट थ्री राइफल भारत की आजादी के बाद से सिर्फ पुलिस फोर्स के पास ही सर्विस ड्यूटी के तौर पर मौजूद है, जिसका इस्तेमाल आधुनिक हथियारों के सामने करना दशकों पहले से ही नाकाम हो चुका है. अब उत्तराखंड पुलिस को आधुनिक बंदूकों और पिस्टल से लैस किया जाएगा.
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अंग्रेजों ने सबसे पहले किया था इस्तेमाल
जानकारों के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि 1880 में अंग्रेजी सेना ने थ्री नॉट थ्री का इस्तेमाल किया था. उस दौर में इस राइफल का कारनामा युद्धों के समय विश्वभर में खूब रहा.
दोनों विश्व युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका
इस राइफल का इस्तेमाल पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के साथ 1962 और 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी हुआ था. सेना से दशकों पहले रिटायर होने के बाद भी इस राइफल का इस्तेमाल सिर्फ पुलिस फोर्स में गार्ड ड्यूटी के लिए किया जाता रहा. 90 प्रतिशत हिस्सा लकड़ी से बना होने के कारण ये काफी भारी है और ये राइफल पुलिस के कंधों पर किसी सजा से कम नहीं है.
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पुलिस पर भारी पड़ रही है थ्री नॉट थ्री राइफल
हथियारों के जानकार मानते हैं कि आधुनिक दौर में आज सभी फोर्स में हाई टेक हथियार अपग्रेड हो चुके हैं. पुलिस को भी कई बार आतंकवादियों और माओवादियों समेत बड़े बदमाशों से लोहा लेना पड़ता है. ऐसे में पुलिस का भी हाई टेक हथियारों से लैस होना जरूरी है ताकि वो आधुनिक हथियारों का जवाब आसानी से दे सके.
पांच सदस्यीय टीम कर रही विचार
इस बारे में डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि सबसे पहले शहरी क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि थ्री नॉट थ्री राइफल से उन्हें निजात दिलाई जाए और हल्के व ऑटोमैटिक छोटे हथियारों से लैस किया जाए. इस कवायद को अमलीजामा पहनाने को लेकर पांच सदस्यों की कमेटी गठित की गई है, जो इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है.
डीजी लॉ एंड ऑर्डर के मुताबिक प्रदेशभर में अभी भी थ्री नॉट थ्री राइफल गश्त ड्यूटी के लिए इस्तेमाल होती आई है, हालांकि समय दर समय थ्री नॉट थ्री राइफल के बदले इंसास व एसएलआर जैसी नए हथियारों को फोर्स में शामिल किया जा चुका है. ऐसे में फोर्स से पूरी तरह थ्री नॉट थ्री राइफल को हटाने का मामला विचारधीन है.