देहरादूनःउत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 का मतदान 14 फरवरी को संपन्न हो चुका है. 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आने हैं. भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य कई राजनीतिक दल पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. बात कांग्रेस की करें तो अगर कांग्रेस सत्ता में आती है और हरीश रावत एक बार फिर मुख्यमंत्री बनते हैं तो ब्यूरोक्रेसी में कई बड़े बदलाव आ सकते हैं. इसको लेकर जिज्ञासा भी नजर आ रही है.
उत्तराखंड की सियासत और उससे जुड़ी ब्यूरोक्रेसी हमेशा सियासी गलियारों की सबसे ज्यादा चटकारे लेकर की जाने वाली चर्चा है. माना जाता है कि प्रदेश में सरकार और मुखिया बदलते ही ब्यूरोक्रेसी में सबसे ज्यादा जिज्ञासा इस बात को लेकर होती है कि कौन सत्ता के करीब रहेगा और किसे दूर एक किनारे फेंक दिया जाएगा. यही वजह है कि राजनीतिक नब्ज को समझते हुए ब्यूरोक्रेसी के नुमाइंदे भी लगातार सत्ता के मूड के हिसाब से खुद को तैयार करते हैं. उत्तराखंड में अब तक भाजपा के प्रचंड बहुमत की सरकार थी और कांग्रेस अपने अब तक के निम्न पायदान पर थी.
हरीश रावत बने CM तो ब्यूरोक्रेसी में बदलाव तय ऐसे में वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत की मानें तो शिखर पर मौजूद भाजपा नीचे आएगी और अपने निम्नतम स्तर पर मौजूद कांग्रेस ऊपर की तरफ बढ़ेगी. हालांकि, भाजपा की गिरावट और कांग्रेस की बढ़त कहां पर जाकर रुकती है और सत्ता का सेहरा किसके सिर सजेगा यह 10 मार्च को तय होगा. लेकिन अगर कांग्रेस सरकार बनाती है और हरीश रावत मुख्यमंत्री बनते हैं, तो ब्यूरोक्रेसी का मॉडल किस तरह का होगा, इसको समझते हैं.
ये भी पढ़ेंः त्रिवेंद्र बोले- कांग्रेस में अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं हरीश रावत, ध्यान भटकाने को कर रहे बयानबाजी
हरीश रावत लाए थे दिल्ली से अधिकारीः उत्तराखंड में हरीश रावत जब पहली दफा मुख्यमंत्री बने थे तो वह केंद्र से एक अधिकारी को अपने साथ लेकर आए थे. अधिकारी का नाम था मोहम्मद शाहिद. लेकिन हरीश रावत और मोहम्मद शाहिद का साथ ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाया था. क्योंकि FL2 घोटाले में मोहम्मद शाहिद कास्टिंग हुए और उन्हें वापस दिल्ली भेजना पड़ा. उस समय माना जाता था कि हरीश रावत और उस वक्त के टॉप ब्यूरोक्रेट्स राकेश शर्मा में बनती नहीं थी. लेकिन बाद में परिस्थितियां बदली और IAS अधिकारी राकेश शर्मा के साथ हरीश रावत की नजदीकियां बढ़ने लगीं.
नई पोस्ट की क्रिएट: यह नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि हरीश रावत ने राकेश शर्मा के रिटायरमेंट के बाद भी शासन में केवल राकेश शर्मा के लिए एक नई पोस्ट क्रिएट की और पहली दफा उत्तराखंड में प्रधान सचिव यानी प्रिंसिपल सेक्रेटरी पोस्ट स्थापित कर राकेश शर्मा को प्रधान सचिव बनाया गया.
हरीश रावत की गुड बुक: हरीश रावत की ब्यूरोक्रेट्स को लेकर गुड बुक की बात करें तो हरीश रावत के कार्यकाल में कई ऐसे आईएएस अधिकारी थे जिनसे हरीश रावत की ट्यूनिंग बेहद अच्छी थी. लेकिन आज की तारीख में उनमें से कई अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं, जिनमें से सबसे पहला नाम है डीएस गर्ब्याल का है. इसके अलावा भी कई ऐसे अधिकारी हैं. वहीं, प्रशासनिक तंत्र में जो अधिकारी अभी भी मौजूद हैं, उनमें से अगर हरीश रावत की गुड बुक में आने वाले अधिकारियों की बात करें तो अरविंद सिंह ह्यांकी और रविशंकर के अलावा आर मीनाक्षी सुंदरम को हरीश रावत की सरकार के लिए सबसे अहम माना जाता है.
ये भी पढ़ेंः लालकुआं विधानसभा सीट: चुनाव खर्च के मामले में हरीश रावत सबसे आगे, वीरेंद्र पुरी ने सबसे कम किया व्यय
त्रिवेंद्र के करीबियों की लग सकती है लॉटरीःइसके अलावा बताया जाता है कि ब्यूरोक्रेसी को लेकर आखिरी जो सबसे बड़ा अनुभव है, वह त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है. हरीश रावत की त्रिवेंद्र सिंह रावत से भले ही राजनीतिक प्रतिद्वंदिता है, लेकिन कुछ मामलों में समानता भी है. ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी अधिकारियों की भी लॉटरी लग सकती है. इनमें मनीषा पंवार, दिलीप जावलकर, आनंद वर्धन जैसे अधिकारी हरीश रावत की गुड बुक में हो सकते हैं.
पहली महिला CS का श्रेय ले सकते हैं हरीश रावतः अगर उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन होता है और मुख्यमंत्री हरीश रावत बनते हैं तो उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव नियुक्त करने का पॉलिटिकल माइलेज भी हरीश रावत ले जाएंगे. इसमें कोई दो राय नहीं है. बता दें कि वर्तमान में उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू अपने रिटायरमेंट के आखिरी वर्ष में चल रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड में अब सबसे अधिक सीनियर मोस्ट आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी हैं, जो कि स्थानीय पहली ऐसी महिला अधिकारी हैं, जिन्हें मुख्य सचिव बनाया जा सकता है. ऐसे में अगर उत्तराखंड में मुख्यमंत्री हरीश रावत को बनाया जाता है, तो ब्यूरोक्रेसी में मुख्य सचिव को लेकर यह एक बड़ा बदलाव होगा.