देहरादून:साल 2022 का चुनावी समर पार करने के लिए कांग्रेस जोर तो पूरा लगा रही है, लेकिन पार्टी के सामने इस समय सबसे बड़ा सवाल चेहरे का है. सवाल ये कि 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो चुके उन कद्दावर नेताओं का पार्टी के पास क्या विकल्प है ? उधर, ये बागियों की ताकत ही है कि भाजपा भी इन नेताओं को पार्टी से छिटकने नहीं देना चाहती. उत्तराखंड में आगामी चुनाव के लिए बागी क्यों है राजनीतिक का केंद्र बिंदु और इन राजनीतिक दलों के लिए सत्ता पाने के लिए क्यों बन गए हैं बागी जरूरी.
उत्तराखंड में साल 2016 के बाद राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं. एक समय मजबूत चेहरों का गढ़ मानी जाने वाली कांग्रेस आज बड़े चेहरों से महरूम है. समीकरण केवल कांग्रेस के लिए ही नहीं बदले हैं, बल्कि भाजपा में बागियों की एंट्री के साथ ही इन चेहरों का महत्व सत्ता पाने के लिए बेहद जरूरी माना जाने लगा है. ऐसा क्यों है इसका भी एक खास कारण है.
दरअसल, 2016 में कांग्रेस से भाजपा में आने वाले नेताओं की संख्या जितनी बड़ी थी, उतना ही बड़ा उनका कद भी रहा. शायद यही वजह है कि मोदी लहर की मजबूती और बागियों की ताकत के चलते उत्तराखंड में ऐतिहासिक 57 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की. उधर, पिछले 5 सालों में विपक्ष की तरफ से कोई खास चुनौती भी भाजपा को नहीं मिल पाई. उत्तराखंड में इन बागियों को क्यों माना जा रहा है मजबूत जानिए.
विजय बहुगुणा:उत्तराखंड कांग्रेस से भाजपा में आए बागियों में हर चेहरा बेहद मजबूत है. विजय बहुगुणा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और राज्य की राजनीति में उनका अच्छा खासा दखल है. यहां तक कि उनके बेटे सौरभ बहुगुणा भाजपा से विधायक भी हैं.
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सतपाल महाराज:सतपाल महाराज को कौन नहीं जानता. महाराज कांग्रेस में एक बड़ा चेहरा रहे हैं और न केवल उत्तराखंड बल्कि देशभर में उनके समर्थक मौजूद हैं. उधर, उनकी पत्नी अमृता रावत उत्तराखंड सरकार में ही कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं.
हरक सिंह रावत:हरक सिंह रावत प्रदेश के बड़े और दिग्गज चेहरों में शुमार है. उत्तर प्रदेश में सबसे युवा मंत्री के रूप में रहने वाले हरक सिंह रावत ने प्रदेश में अब तक हर विधानसभा चुनाव राज्य स्थापना के बाद जीते हैं.
यशपाल आर्य:बागियों में यशपाल आर्य भी बेहद मजबूत चेहरा हैं और हर बार विधानसभा चुनाव जीतते रहे. कांग्रेस में मुख्यमंत्री का चेहरा भी रहे हैं और कैबिनेट मंत्री के तौर पर कांग्रेस के बाद आज भाजपा सरकार में भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. यही नहीं, भाजपा में उनके बेटे संजीव आर्य भी नैनीताल से विधायक हैं.
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सुबोध उनियाल:सुबोध उनियाल का भी नरेंद्र नगर विधानसभा क्षेत्र में अच्छा खासा दखल है. साथ ही टिहरी की कुछ सीटों पर भी उनकी अच्छी पकड़ है. सुबोध उनियाल भी अपने दम पर विधानसभा चुनाव जीतने में सक्षम माने जाते हैं.