देहरादून:उत्तराखंड में इस बार एक दर्जन से ज्यादा नेता ऐसे हैं, जिनकी उम्र के चलते उनके लिए इस चुनाव को अंतिम माना जा रहा है. जाहिर है कि राजनीति के अंतिम वर्षों में ऐसे नेता जनता से सम्मानजनक विदाई की उम्मीद कर रहे हैं. कई मौकों पर अंतिम चुनाव के नाम से राजनेता जनता की हमदर्दी भी लेते हैं. जानिए उन सीटों और राजनेताओं के बारे में जो इस बार 65 साल से अधिक उम्र के चलते अपने अंतिम चुनाव की तरफ बढ़े हैं.
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है. प्रदेश में 2026 में होने वाले परिसीमन से पहले यह मौजूदा परिसीमन का आखिरी विधानसभा चुनाव है. वहीं, इस चुनाव में कई ऐसे दिग्गज हैं, जिनकी उम्र के कारण इसे उनका आखिरी चुनाव माना जा रहा है. वैसे प्रदेश में ऐसे करीब एक दर्जन बुजुर्ग नेता हैं, जिनके लिए यह चुनाव खासा महत्वपूर्ण रहेगा. जाहिर है कि इन बुजुर्ग नेताओं का अनुभव राजनीतिक दलों को मिलता रहा है लेकिन अब यही उम्र उनके लिए लोगों की हमदर्दी के रूप में चुनाव के दौरान फायदे के रूप में भी रही होगी.
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दरअसल, कई बार ऐसे बुजुर्ग नेता अपने चुनाव को अंतिम बताते हुए सम्मानजनक विदाई के रूप में जनता की हमदर्दी लेकर चुनावी जीत को हासिल करने की भी कोशिश करते हैं. सबसे पहले जानिए 65 साल से अधिक उम्र के उन नेताओं को जिनके लिए यह चुनाव जीतना उनके राजनीतिक जीवन में बेहद जरूरी होगा.
इसमें सबसे पहला नाम पूर्व सीएम हरीश रावत का है. हरीश रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. वे इस बार कांग्रेस में खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा मानते हैं. उनकी उम्र के लिहाज से उनके इस चुनाव को उनके लिए विधानसभा का अंतिम चुनाव माना जा रहा है. जिसके कारण हरीश रावत भी पूरा जोर लगाये हुए हैं.
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गोविंद सिंह कुंजवाल, हीरा सिंह बिष्ट, दिनेश अग्रवाल, महेंद्र पाल, जोत सिंह बिष्ट, नवप्रभात, तिलकराज बेहड़, मंत्री प्रसाद नैथानी जैसे नेता भी ऐसे हैं जिनकी उम्र 65 प्लस है. इन सभी के लिए भी ये चुनाव काफी अहम साबित होगा. इसके बाद भविष्य में उनके लिए चुनाव लड़ना धीरे-धीरे कठिन होगा.
वैसे राजनीतिक रूप से चुनाव में प्रतिभाग करने को देखें तो पहाड़ी विधानसभा सीटों पर उम्र दराज प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना ज्यादा मुश्किल रहता है. मैदानी सीटों पर अधिक उम्र तक भी प्रत्याशी चुनाव में प्रतिभाग कर सकते हैं. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और धनोल्टी विधानसभा सीट से प्रत्याशी जोत सिंह बिष्ट कहते हैं कि अधिक उम्र होने के कारण कई बार प्रत्याशी चुनाव में इसका फायदा लेते हैं. इसका सीधा उदाहरण देवप्रयाग विधानसभा सीट पर दिवाकर भट्ट हैं, जो इस चुनाव को अपना आखिरी चुनाव बताकर जनता से हमदर्दी जुटा रहे हैं.
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विधानसभा चुनाव 2022 में केवल कांग्रेस से ही नहीं बल्कि भाजपा से भी ऐसे कई बड़े चेहरे हैं, जिनके लिए यह चुनाव उम्र के लिहाज से आखिरी विधानसभा चुनाव माना जा रहा है. इसके बाद नेताओं के राजनीतिक संन्यास की उम्मीद लगाई जा रही है. ऐसे नेताओं में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल, प्रत्याशी रामशरण नौटियाल का नाम शामिल है. यूकेडी से दिवाकर भट्ट और काशी सिंह ऐरी भी इस लिस्ट में शामिल हैं.
कांग्रेस जहां इस मामले में ऐसे बुजुर्ग नेताओं की सम्मानजनक विदाई के रूप में हमदर्दी मिलने की बात कह रही है तो वहीं भाजपा ऐसा नहीं मानती. पार्टी के नेता देवेंद्र भसीन कहते हैं कि उम्र के आखिरी पड़ाव पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को किसी तरह कोई फायदा नहीं होता. फायदा केवल काम करने से होता है. जिन लोगों की छवि अच्छी होती है, जिन्होंने काम किया होता है उसे ही जीत हासिल होती है.