देहरादूनःजोशीमठ में लगातार दरारें चौड़ी होती जा रही है. अब नगर के दूसरे हिस्सों में भी दरारें दिखने लगी है. अभी तक 849 घरों में दरारें पड़ चुकी है. यह दरारें बड़ी मुसीबत की ओर इशारा कर रहे हैं. जिस तरह से दरारों चौड़ी हो रही है, उससे पहाड़ों पर बने भवनों का नीचे आने का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. जानकारों की मानें तो अगर इसी तेजी से जोशीमठ में भू-धंसाव होता रहा तो निचले इलाके में भी इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
कितनी बड़ी है समस्याःजोशीमठ के हालात जो आज हुए हैं, वो सब अचानक नहीं हुआ है. ऐसे में साफ जाहिर हो रहा है कि या तो सरकार और प्रशासन ने जोशीमठ की अनदेखी की या फिर जिम्मेदार लोग किसी बड़ी अनहोनी के होने का इंतजार करते रहे. यही कारण है कि जब एक साथ आफत आई तो सभी घरों को असुरक्षित सूची में डालना पड़ा.
जिस जगह पर जोशीमठ नगर बसा है, उसके आस पास बड़े-बड़े पहाड़ हैं. अभी तो सिर्फ घरों में दरारें आई हैं, लेकिन जिस तरह से पहाड़ में हलचल हो रही है, उससे अंदेशा जताया जा रहा है कि कहीं पहाड़ के पहाड़ और बोल्डर नीचे ना आ जाएं. लिहाजा, निचले इलाके जो अभी तक सुरक्षित हैं या सड़कें जिन पर लोग आवाजाही कर रहे हैं, उनको भी नुकसान हो सकता है. ऐसे में अब बोल्डर को भी बचाने की कवायद तेज कर दी गई है.
भू-वैज्ञानिकों की चिंताः पहाड़ों में आ रही दरारों को लेकर भूवैज्ञानिक प्रोफेसर बीडी जोशी कहते हैं कि अभी सिर्फ जोशीमठ के वर्तमान हालातों को लेकर बातें की जा रही है, लेकिन ये दरारें अभी सिर्फ घरों पर आई है. कल ये दरारें सड़कों पर भी आ सकती है. ऐसे में उस वक्त वहां जाना-आना और मौके की जानकारी जुटाना भी मुश्किल हो जाएगा. जोशीमठ में एक और बड़ी समस्या सामने है. अगर भूकंप आया तो उसका परिणाम बेहद खतरनाक हो सकता है. भूकंप की वजह दरारों का आकार बढ़ेगा और बोल्डर पहाड़ी से नीचे आ सकते हैं.