देहरादून: चारधाम श्राइन बोर्ड बनाने के सरकार के फैसले को लेकर विवाद शुरू हो गया है. चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ सड़कों पर उतरने का ऐलान कर दिया है. तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के इस निर्णय को काला कानून करार दिया है. वहीं, केदारनाथ विधायक का कहना है कि सरकार मंदिरों के विकास पर नहीं, दान दक्षिणा पर ध्यान दे रही है.
चारधाम श्राइन बोर्ड का विरोध. केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने चारधाम श्राइन बोर्ड के प्रस्ताव को लेकर सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि सरकार ने श्राइन बोर्ड के लिए किसी से कोई बातचीत नहीं की. अपने अनुसार कैबिनेट में इस प्रस्ताव को पास कर दिया, जोकि गलत है. सरकार मंदिरों के विकास को लेकर बड़ी बड़ी बाते कह रही है, जबकि सरकार का ध्यान मंदिरों के विकास पर नहीं बल्कि मंदिरों की दान दक्षिणा पर है.
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बता दें कि कैबिनेट बैठक में जो फैसला सरकार द्वारा लिया गया है, उसको देखते हुए तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि सरकार मनमानी कर रही है, जिससे इतने वर्षों से चली आ रही परंपरा को ठेस पहुंची है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लगाई गई है. वैष्णो देवी और जगन्नाथ मंदिर श्राइन बोर्ड की तर्ज पर उत्तराखंड में भी श्राइन बोर्ड बनेगा. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को लाया जाएगा.
त्रिवेंद्र सरकार का मानना है कि चारधाम श्राइन बोर्ड बनने के बाद इन मंदिरों के रखरखाव और संचालन में सुधार आएगा. उत्तराखंड में ऐसे सभी मंदिर सीधे सरकार के नियंत्रण में आ जाएंगे. चारधाम अभी तक अलग अलग समितियों के अधीन है.