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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः योग के रंग में रंगे विदेशी मेहमान, रहे साधना में लीन - dehradun news

तीर्थनगरी ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विदेशी योगाचार्यों ने योग का आयोजन किया. वहीं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस वर्ष 2020 की थीम 'मैं पीढ़ीगत समानता महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूं' थी.

rishikesh
योग का छाया जादू

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Published : Mar 8, 2020, 9:55 PM IST

ऋषिकेश: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर योगाचार्य कीया मिलर, वृंदा और तारा द्वारा योगासन का आयोजन किया गया. इस योगासन में कीया मिलर द्वारा विशेष योग, मैक्सिको से आयी योगाचार्य वृंदा द्वारा ध्यान और कनाडा से आयी तारा द्वारा चक्रा डांस का आयोजन किया गया.

विश्व के 76 देशों और भारत के 20 राज्यों से आये 1551 योगी परमार्थ निकेतन से अब धीरे-धीरे विदा हो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अनेक योगी अब भी योग के रंग के रंगे हुए हैं. कोई गंगा तट तो कोई योग उद्यान में बैठ कर योग साधना में लीन है. योगियों पर अब भी योग का जादू छाया हुआ है.

योगाभ्यास

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस वर्ष 2020 की थीम 'मैं पीढ़ीगत समानता महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूं’ थी. भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों ने सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के तहत लैंगिक सामनता और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में प्रगति करने के बावजूद अभी भी महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और हिंसा हो रही है.

योग करती महिला

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महात्मा गांधी को याद करते हुये कहा कि युगों से चल रही बुराइयों को खोजना और उन्हें नष्ट करना जागरुक स्त्रियों का विशेषाधिकार होना चाहिये.

यदि मैं स्त्री रूप में पैदा होता तो मैं पुरूषों द्वारा थोपे गये हर अन्याय का जमकर विरोध करता. गांधी जी के सदविचार आज की नारी को जागृत करने और झकझोरने के लिये काफी है. नारियों को अपने उत्थान के लिये वैचारिक क्रांति करने की जरूरत है.

योग का आनंद

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शास्त्रों में उल्लेख है कि जिन घरों में स्त्रियों का सम्मान होता है. वहां देवी-देवता निवास करते हैं. वैदिक और उत्तर वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था. मध्यकाल महिलाओं के लिये बेहद चिंताजनक था. वहीं 21वीं सदी आते-आते महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है.

योगाभ्यास करती महिला

महिलाओं की शैक्षिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुई है, लेकिन सामाजिक और वैचारिक स्तर पर अब भी बहुत असमानताएं है. आज की नारी अपना स्थान स्वयं बना सकती है और इसके लिए उसे आगे आना होगा.

योग करती विदेशी महिला

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