देहरादून: लॉकडाउन के 42 दिन पूरे हो चुके हैं, ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना मलिन बस्तियों में रहने वाले परिवारों को करना पड़ रहा है. इन लोगों की रोजी-रोटी दिहाड़ी मजदूरी से ही चलती थी. लेकिन वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन में इनकी जिदंगी थम सी गई है. लॉकडाउन ने जहां एक ओर देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है तो वहीं ये गरीब लोग भी इसकी मार से अछूते नहीं हैं. गरीबों और असहाय लोगों पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है. जिसमें से मुख्य रूप से मलिन बस्तियों में रहने वाले मजदूरों, रिक्शा चालकों, जैसे काम करने वाले गरीबों पर सीधे तौर पर दिखाई देने लगा है. आखिर क्या है, इन दिहाड़ी मजदूरों की रोजमर्रा की जिंदगी, कैसे कर रहे हैं अपना जीवन यापन ? देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
कोरोना महामारी के बीच लॉकडाउन को करीब डेढ़ माह का समय होने वाला है, ऐसे में इन डेढ़ माह से दिहाड़ी मजदूर काम नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, काम ना मिल पाने के चलते अब इनकी रोजमर्रा की जिंदगी थम सी गई है. जिसके चलते अब 42 दिनों से घरों में बैठे दिहाड़ी मजदूरों का सब्र का बांध टूटने लगा है. अब ये अपना जीवन यापन करने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं. ताकि, उनकी दिहाड़ी मजदूरी भी शुरू हो जाए.
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