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बजट सत्र को लेकर मचा सियासी घमासान, कम समयावधि को लेकर विपक्ष उठा रहा सवाल

3 मार्च से 6 मार्च तक उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र गैरसैंण में होने वाला है. वहीं, कम समयावधि को लेकर कांग्रेस ने सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश की है.

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Published : Feb 17, 2020, 8:12 AM IST

Updated : Feb 17, 2020, 10:34 AM IST

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3 मार्च से गैरसैंण में पेश होगा बजट सत्र

देहरादून: आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 3 मार्च से 6 मार्च तक उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र गैरसैंण में आयोजित होने जा रहा है. बजट की समयावधि को लेकर पक्ष-विपक्ष में अभी से ही घमासान शुरू हो गया है. जहां विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता सत्तापक्ष की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं, राजनीतिक जानकार भी उत्तराखंड सरकार के इस चार दिवसीय बजट सत्र को जनता के लिहाज से नाकाफी मान रहे हैं.

3 मार्च से गैरसैंण में पेश होगा बजट सत्र

कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय होती है कार्यवाही

बजट सत्र से पहले पक्ष-विपक्ष के विधायक जब कार्यमंत्रणा समिति की बैठक करते हैं तो न सिर्फ विधानसभा अध्यक्ष पक्ष-विपक्ष के विधायकों से सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से चलने की अपील करते हैं. बल्कि पहले दिन क्या काम होगा, दूसरे दिन सदन में किस-किस सरकारी कामकाज को अंजाम दिया जाएगा, तीसरे दिन कौन-कौन से विधेयक सदन के पटल पर पेश किए जाएंगे, कौन से संकल्प सूचनाएं विधानसभा के सत्र के दौरान सदन में पेश की जाएंगी. इसके अलावा मुख्य फोकस सरकार का किस काम को करने पर रहेगा, इन तमाम पहलुओं पर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में मोहर लगती है. लिहाजा सरकार की तरफ से जन कल्याणकारी विषय पर चर्चा कराने के साथ ही प्रदेश हित में और जनता से सरोकार रखने वाले मुद्दों के साथ ही बजट पर चर्चा की जाती है.

बजट सत्र के दौरान विभागवार चर्चा का है प्रावधान

दरअसल, जब किसी भी प्रदेश की सरकार बजट सत्र आहूत करती है तो प्रदेश सरकार के वित्तमंत्री, सदन के पटल पर जो बजट पेश करते हैं. उस बजट पर विभागवार चर्चा होती है, लिहाजा जब उत्तराखंड सरकार का विधानसभा के बजट सत्र के दौरान वित्तमंत्री या फिर नेता सदन, सदन के पटल पर बजट पेश करेंगे. इसके बाद विभागवार बजट पर चर्चा का प्रावधान है लिहाजा जो समय अवधि बजट सत्र के लिए निर्धारित की गई है, उसको भी पक्ष माकूल नहीं मान रहा है. यही वजह है कि सत्र से पहले ही सत्र की समय अवधि को लेकर पक्ष-विपक्ष में न सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप की सियासत देखने को मिल रही है, बल्कि एक सियासी घमासान भी शुरू हो गया है.

बजट सत्र की समय अवधि नहीं है जन आकांक्षाओं के अनुरूप

प्रदेश सरकार के गैरसैंण में आयोजित होने वाले बजट सत्र को सियासी जानकार भी कम समय अवधि का बजट सत्र बता रहे हैं. लिहाजा 60 से अधिक विभागों वाले इस बजट के सदन में पेश होने के बाद विभागवार चर्चा कितनी होगी, क्या सरकार बजट पास कराने के बाद विभागवार बजट पर चर्चा से बच रही है या फिर सरकार चर्चा कराना चाहती है. राजनीतिक विश्लेषक भगीरथ शर्मा की मानें, 3 मार्च से 6 मार्च तक गैरसैंण में आयोजित होने वाले उत्तराखंड सरकार के बजट सत्र की समय अवधि, जन आकांक्षाओं के अनुरूप दिखाई नहीं दे रही है. वहीं ऐसे में सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा होना तो लाजिमी है.

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सरकार जनता को कर रही है गुमराह

सरकार भले ही ये जताने की कोशिश कर रही हो कि सरकार पहाड़ की भावनाओं के अनुरूप ही इस बजट सत्र को एक बार गैरसैंण में आहूत करने जा रही हो, लेकिन विपक्ष को ये नागवार गुजर रहा है. ऐसे में विपक्ष के नेता सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के अनुसार, सरकार सिर्फ और सिर्फ प्रदेश की जनता को गुमराह कर रही है, लिहाजा सरकार को प्रदेश के विकास से कोई भी सरोकार नहीं है. यही वजह है कि सरकार 3 से 6 मार्च तक उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र गैरसैंण में आहूत करने जा रही है.

बढ़ाई जा सकती है बजट सत्र की समय अवधि

सरकार और विपक्ष के बीच शुरू हुए घमासान में बीजेपी संगठन भी सरकार की जमकर पैरोकारी करता हुआ दिखाई दे रहा है. बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉक्टर देवेंद्र भसीन ने बजट के मामले पर कहा कि फिलहाल सरकार ने 3 से 6 मार्च तक विधानसभा का बजट सत्र गैरसैंण में आहूत करने की रणनीति बनाई है. सरकार की मंशा जनहित के साथ ही विकास के कार्यों को तेज गति से आगे बढ़ाने की है, जबकि विपक्ष सिर्फ और सिर्फ आरोप लगाने की राजनीति कर रहा है. बजट सत्र की समय अवधि में बदलाव हो सकता है.

Last Updated : Feb 17, 2020, 10:34 AM IST

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