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11 साल बाद संपन्न हुई थाती माटी की पूजा, ग्रामीणों ने की सुख समृद्धि की कामना - थाती माटी की पूजा

चकराता के मैंपावटा गांव में थाती माटी की पूजा संपन्न हो गयी. मान्यता है कि इस पूजा के माध्यम से गांव की सुख-समृद्धि की कामना की जाती है.

vikas nagar
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Published : Dec 8, 2019, 12:10 PM IST

Updated : Dec 8, 2019, 1:27 PM IST

विकासनगर:जौनसार बावर के मैंपावटा गांव में 9 दिन से चल रही थाती माटी की पूजा का समापन हो गया. इस पूजा के दौरान लोग गांव के सुख समृद्धि की कामना करते हैं. यह पूजा पौराणिक काल से की जा रही है. हालांकि, इस बार थाती माटी की पूजा 11 साल बाद की गई है.

11 साल बाद संपन्न हुई थाती माटी की पूजा.

बता दें कि इस पूजा में विधिपूर्वक पंचायती आंगन में एक निश्चित स्थान जिसे थाती कहा जाता है, उसकी विशेष पूजा की जाती है. सभी ग्रामीण इस पूजा में प्रतिभाग करते हैं. पूजा स्थान पर विधिपूर्वक दीपक जलाया जाता है. उसके बाद 9 दिनों तक पंचायती आंगन में थाती के पास पांडव नृत्य चलता है और दोनों पहर हवन-पूजन किया जाता है.

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यह है मान्यता

ऐसा माना जाता है कि पांडव नृत्य में जिस भी महिला या पुरुष पर पांडवों की छाया अवतरित होती है. वह हथियारों के साथ ढोल दमाऊं की थाप पर नृत्य करते हैं. 9 दिनों तक चलने वाले इस हवन पूजन को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह नजर आता है. 9वें दिन पूजा समाप्ति को लेकर आसपास के ग्रामीण काफी संख्या में पहुंचते हैं. 9वें दिन जमीन का बंटवारा किया जाता है. जिसमें पांडव अवतरित होकर एक खेत में जमीन का बंटवारा करते हैं. हल भी चलाया जाता है. यह माना जाता है कि ऐसा करने से किसानों की खेती पशुओं में उन्नति और वृद्धि होती है.

मैंपावटा गांव के राजस्व उप निरीक्षक से सेवानिवृत्त कृपाराम जोशी ने बताया कि यह पूजा पद्धति पौराणिक काल से चली आ रही है. इस दौरान गांव की थाती की पूजा होती है. थाती पर 9 दिनों तक दीपक जलता रहता है. पंचायती आंगन में पांडव नृत्य भी चलता है. यह पूजा गांव की सुख समृद्धि के लिए की जाती है.

गांव के बुजुर्ग केशवराम बताते हैं कि इसमें सर्वप्रथम अपने आराध्य ईष्ट देव महासू देवता की पूजा की जाती है. साथ ही सभी देवी देवताओं व पांडवों की पूजा करने का विधान है. पुरानी परंपराओं से ही ये पूजा पद्धति चली आ रही है.

Last Updated : Dec 8, 2019, 1:27 PM IST

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