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आखिर इस दीपावली पर क्यों मायूस हैं राजस्थान से आए टेराकोटा कारीगर?

दीपावली के पर्व पर बाजार सजने लगे हैं. बाजारों में चाइनीज आइटम के साथ मिट्टी से बनी चीजें भी खूब रौनक बिखेर रही हैं. वहीं, राजस्थान से आए टेराकोटा कारीगर भी मिट्टी से बने सामान बेचकर इस बार की दीवाली यादगार बनाना चाहते हैं.

इस बार टेराकोटा कारीगरों की दीपावली.

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Published : Oct 22, 2019, 7:32 AM IST

देहरादून:रोशनी के पर्व दीपावली की रौनक बाजारों में दिखने लगी है. घरों की सजावट के लिए तरह-तरह की चीजें बाजार में उपलब्ध हैं. जहां हर साल दीपावली के मौके पर कारीगर चाइनीज प्रोडक्टस की मार झेलते थे, वहीं इस बार उन पर मंदी का बोझ भी बढ़ गया है.

इस बार टेराकोटा कारीगरों की दीपावली.

राजधानी देहरादून के बाजारों में एक तरफ जहां चाइनीज प्रोडक्ट्स की भरमार है. वहीं, हरिद्वार रोड पर सड़क किनारे राजस्थान के कुछ कारीगर टेराकोटा की खूबसूरत मूर्तियां, फूलदान जैसे अन्य सजावटी सामान तैयार करने में जुटे हैं. लाल मिट्टी को आग में पकाकर तैयार की जाने वाली हस्तकला को टेराकोटा कहा जाता है.

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राजस्थान से व्यापार के लिए देहरादून आए कारीगरों का कहना है कि हर साल की तरह इस बार लोग घरों से खरीदारी करने नहीं पहुंच रहे हैं. उन्हें मालूम नहीं है कि इसके पीछे की वजह मंहगाई है या फिर मंदी. वह तो बस उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में शायद लोग उनके द्वारा तैयार की गई इन हस्तकलाओं को खरीदने जरूर पहुंचेंगे, जिससे की उनका परिवार भी दीपावली मना सके.

टेराकोटा कारीगर संदीप कुमार ने बताया कि उनके पास 100 रुपये से लेकर 5000 रुपए तक के टेराकोटा के सामान उपलब्ध हैं. टेराकोटा से बनी सामान अन्य मिट्टी से बनाए जाने वाले हस्तकलाओं के मुकाबले ज्यादा लंबे समय तक चलते हैं.

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