उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

शिक्षकों की नियुक्ति पर फिर महकमे की जुगाड़ व्यवस्था, 4000 अस्थायी नियुक्तियों का रास्ता साफ

उत्तराखंड में शिक्षा महकमा हर बार शिक्षकों को लेकर बड़े दावे करता है और आखिरकार ही दावे हवा-हवाई साबित होते हैं. इससे पहले भी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर सरकार ने पहाड़ों तक शिक्षकों की नियुक्ति कर खुद की पीठ थपथपाई थी. लेकिन, मामला हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद धराशायी हो गया था.

शिक्षकों की नियुक्ति पर फिर महकमे की जुगाड़ व्यवस्था

By

Published : Jun 13, 2019, 7:16 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में शिक्षकों के रिक्त पदों को लेकर एक बार फिर शिक्षा महकमे ने जुगाड़ व्यवस्था के तहत 4000 नियुक्तियों को भरने का निर्णय लिया है. दरअसल, शिक्षकों की ये नियुक्तियां स्थायी नियुक्तियां न होने तक के लिए की गई है. हालांकि, बेरोजगारी से जूझ रहे युवाओं के लिए महकमे का यह फैसला फायदेमंद होगा.

शिक्षकों की नियुक्ति पर फिर महकमे की जुगाड़ व्यवस्था.

बता दें कि उत्तराखंड में शिक्षकों के खाली पदों पर वॉक-इन इंटरव्यू के तहत पद भरे जाने की कवायद तेज हो गई है. इसके तहत एलटी और प्रवक्ता के करीब 4000 पदों को वॉक-इन इंटरव्यू के जरिए भरा जाएगा. खास बात यह है कि स्कूलों के प्रधानाचार्य और स्कूल प्रबंधन समिति को ही इन पदों पर नियुक्ति के लिए अधिकार सौंपा गया है. इसमें समिति ही उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेकर उनका चयन करेगी. जबकि, राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में अटैच शिक्षा विभाग के शिक्षकों को मूल तैनाती पर भेजे जाने के भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

पढ़ें-चारधाम यात्राः इस साल अपनी फजीहत कराने के बाद अगले साल की प्लानिंग में जुटी उत्तराखंड पुलिस

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने अधिकारियों के साथ बातचीत कर प्रदेशभर में शिक्षकों की कमी को देखते हुए ये निर्णय को लिया है. अरविंद पांडे की माने तो जुलाई के पहले सप्ताह तक इन नियुक्तियों को पूरा कर लिया जाएगा और पहाड़ों तक शिक्षकों की नियुक्ति की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम होगा.

उत्तराखंड में शिक्षा महकमा हर बार शिक्षकों को लेकर बड़े दावे करता है और आखिरकार ही दावे हवा-हवाई साबित होते हैं. इससे पहले भी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर सरकार ने पहाड़ों तक शिक्षकों की नियुक्ति कर खुद की पीठ थपथपाई थी. लेकिन, मामला हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद धराशायी हो गया था. ऐसे में एक बार फिर वही व्यवस्था लागू कर सरकार ने शिक्षकों की कमी को दूर करने की तरफ अपनी गंभीरता को जाहिर तो किया है. लेकिन हकीकत ये है कि एक बार फिर सरकार ने ये निर्णय लेकर कानूनी दांवपेच में फंसने की तैयारी कर ली है. बड़ी बात ये है कि प्रधानाचार्य को और समिति को अधिकार देने से महकमे में भाई-भतीजावाद के तहत नियुक्ति की संभावनाएं बढ़ गई हैं. जोकि छात्रों के भविष्य के लिए बिल्कुल भी सही नहीं कही जा सकती.

आपको बता दें कि हाईकोर्ट में इससे पहले हुई अतिथि शिक्षकों की भर्ती का मामला पहुंचा था. जहां से हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. सरकार के पैरवी करने के बाद जब कुछ समय के लिए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता फिर खोला गया. तो सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल होने के बाद इस नियुक्ति को रोक दी गई. यानी कोर्ट की तरफ से लगातार अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर रोक लगाई जाती रही है. यही नहीं हाई कोर्ट की तरफ से तो स्थायी नियुक्ति जल्द से जल्द किए जाने के निर्देश भी पहले दिए गए थे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details