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देहरादून: कोर्ट के आदेश पर प्रशासन तैयार कर रहा है लिस्ट, लोगों को सता रही विस्थापन की चिंता

डोइवाला में नदियों के किनारे बसे लोगों को अब चिंता सताने लगी है. दरअसल, हाई कोर्ट के आदेश को बाद तहसील प्रशासन ने नदी के किनारे बसे लोगों का चिन्हीकरण कर लिस्ट तैयार कर रहा है. इसके बाद प्रशासन इन लोगों के विस्थापन पर विचार करेगा.

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Published : Aug 10, 2019, 9:23 PM IST

डोईवाला में नदियों के किनारे बसे लोगों में बैठा व्यवस्थापन का डर.

देहरादून: डोइवाला में नदियों के किनारे बसी बस्तियों का हाई कोर्ट के आदेश पर चिन्हीकरण किया जा रहा है. यहां सौंग, सुसवा नदी के किनारे भारी तादात में बाहर से आए लोग बसते जा रहे हैं. बरसात के समय में ये बस्तियां प्रशासन के लिए आफत बनती जा रही हैं. ऐसे में इन अवैध बस्तियों को हटाने के लिए प्रशासन द्वारा लिस्ट तैयार की जा रही है.

बता दें कि बिहार और उत्तर प्रदेश से भारी तादात में मजदूरी करने आए लोग डोइवाला की सौंग नदी के किनारे अपना ठिकाना बनाते जा रहे हैं. केशवपुरी व राजीव नगर में सैकड़ों लोग खतरे की जद में आ गए हैं. अब ऐसे में हाई कोर्ट के आदेश के बाद नदी के किनारे बसे लोगों से स्थानीय प्रशासन द्वारा पूछताछ की जा रही है.

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इसी के मद्देनजर तहसील प्रशासन ऐसे लोगों का चिन्हीकरण कर लिस्ट तैयार कर रहा है. इस लिस्ट में 200 मीटर के दायरे में कितने मकान बने हैं, उन सब का डाटा तैयार किया जा रहा है. उसके बाद ही इन लोगों के विस्थापन या हटाने की दिशा में कार्रवाई की जाएगी.

डोइवाला में नदियों के किनारे बसे लोगों को सता रहा विस्थापन का डर.

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डोइवाला एसडीएम लक्ष्मी राज चौहान ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर तहसील प्रशासन द्वारा नदियों के किनारे बसी हुई बस्तियों का चिन्हीकरण किया जा रहा है. इससे यह भी पती चल सकेगा कि इन लोगों ने कितने समय से यहां अपना ठिकाना बना रखा है. साथ ही इनकी एक लिस्ट बनने के बाद प्रशासन इन लोगों के विस्थापन पर विचार करेगा.

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वहीं, प्रशासन की इस कार्रवाई से नदी के किनारे बसे लोगों में विस्थापन का डर देखने को मिल रहा है. बस्ती वासियों का कहना है कि उन्हें नदियों के किनारे रहते हुए कई साल हो गए हैं और उन्हें हटाने से पहले प्रशासन को उनके रहने का बंदोबस्त करना चाहिए. वहीं, क्षेत्र के पूर्व सदस्य भारत भूषण ने इस मामले पर कहा कि तहसील की ओर से नदी के किनारे बसे लोगों की लिस्ट तैयार हो रही है. उनके अनुसार लगभग 400 से ऊपर लोग इस बस्ती के किनारे बसे हैं. उनका कहना है कि यह बेहद गरीब लोग हैं और इन्हें हटाने से पहले प्रशासन को अन्यत्र इनके रहने की व्यवस्था करनी चाहिए.

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