देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विवाद थम नहीं रहा है. चारों धामों से जुड़े तमाम तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों ने न सिर्फ भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, बल्कि 17 अगस्त से प्रदेश स्तरीय आंदोलन का भी ऐलान कर दिया है. ऐसे में देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का विरोध कर रहे तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों को मनाना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है.
17 अगस्त से शुरू होगा प्रदेश स्तरीय आंदोलन: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग किए जाने की मांग को लेकर चारधाम तीर्थपुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत समिति ने 17 अगस्त से प्रदेश स्तरीय आंदोलन का ऐलान किया है. 17 अगस्त के बाद चारधाम समेत ऊखीमठ, खरसाली, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, ऋषिकेश और देहरादून में धरना प्रदर्शन किया जाएगा. पहले क्रमिक अनशन किया जाएगा, फिर आमरण अनशन किया जाएगा. प्रदेश सरकार का पुतला भी फूंका जाएगा. इसके बाद 16 सितंबर को सीएम आवास कूच किया जाएगा, जबकि पिछले दो महीने से तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों का धरना प्रदर्शन जारी है.
एक साल पुराना आदेश बोतल से निकला बाहर: हालांकि, केदारनाथ धाम परिसर में धरना दे रहे तीर्थ पुरोहितों को हटाने के लिए करीब एक साल पुराने आदेश का जिन्न भी बोतल से बाहर आ गया है. उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध में पिछले 2 महीने से तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी, केदारनाथ धाम में धरना दे रहे हैं.
हालांकि, अभी तक धरना दे रहे तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों को मंदिर परिसर में धरना देने से मना नहीं किया गया था, लेकिन बीते सोमवार की देर शाम पुलिस प्रशासन ने एक आदेश की कॉपी को दिखाकर केदारनाथ परिसर में धरना न देने की बात कही, जिससे तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश और बढ़ गया. इसके बाद से ही केदारनाथ धाम में तनातनी का माहौल है. दरअसल, यह आदेश करीब एक साल पुराना है जो 16 सितंबर 2020 को देवस्थानम बोर्ड के सीईओ की ओर से जारी किया गया था.
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मंदिर से 200 मीटर की परिधि में नहीं कर सकते प्रदर्शन: उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्डके सीईओ रविनाथ रमन की ओर से 16 सितंबर 2020 को जारी किए गए आदेश के अनुसार, केदारनाथ देवस्थानम के 200 मीटर की परिधि और वैलीब्रिज से मंदिर तक के मुख्य पहुंच मार्ग में किसी भी तरह के धरना/प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया गया था.
यही नहीं, जारी आदेश में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि अगर कोई इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ धारा 37 के तहत कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, करीब एक साल पहले जारी इस आदेश को लेकर पुलिस प्रशासन, केदारनाथ धाम में धरना दे रहे तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों को हटाने की कोशिश कर रहा है.
आर पार की लड़ाई का ऐलान: लंबे समय से धरना दे रहे तीर्थ पुरोहितों ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने बताया कि सोमवार को देर शाम पुलिस प्रशासन की ओर से केदारनाथ मंदिर परिसर में धरना प्रदर्शन न किए जाने के आदेश के बाद से तीर्थ पुरोहित आक्रोशित हैं. पिछले साल के आदेश को आधार बनाकर केदारनाथ धाम में धरना-प्रदर्शन रोकने का दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन वो किसी दबाव में नहीं आएंगे, साथ ही आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं.
गठित नहीं हो पाई हाई पावर कमेटी: वहीं, 16 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया जाएगा. मुख्यमंत्री धामी की इस घोषणा को काफी दिन बीत गए हैं, लेकिन कमेटी का गठन नहीं हो पाया और न ही इस बाबत कोई आदेश जारी हुआ है.