देहरादून: देश के कई राज्यों के साथ-साथ उत्तराखंड में तेजी से उभरता Cyber crime अपराध लगातार चिंता का विषय बनता जा रहा है. उत्तराखंड की बात करें तो यहां 200 से अधिक साइबर अपराधों के गंभीर मामले लंबित चल रहे हैं. ऐसे में प्रदेश में शुरू किए गए 'ई साइबर सुरक्षा चक्र' मिशन के तहत पूरे उत्तराखंड के सभी 13 जिलों से डेढ़ सौ से अधिक पुलिस, साइबर क्राइम पुलिस की टीमें एसटीएफ के नेतृत्व में देश के अलग-अलग साइबर क्राइम के गढ़ में अपराधियों की धरपकड़ और मामलों के खुलासे के लिए रवाना हो चुकी हैं.
उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स के मुताबिक सीमांत जिले पिथौरागढ़ से लेकर देहरादून तक अलग-अलग साइबर क्राइम पुलिस की तकनीकी टीमें सहित 20 से अधिक टीमें उत्तप्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, असम जैसे तमाम उन राज्यों में तब तक डेरा डाले रखेंगी जब तक साइबर अपराधियों को पकड़ न लें. विशेष मिशन को मजबूत और सफल बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश और गाइडलाइंस अनुसार संबंधित राज्यों की पुलिस से सामंजस्य बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की कवायद चल रही है.
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साइबर क्रिमिनल से जुड़ी जानकारियों और ठिकानों पर प्रभावी कार्रवाई का मिशन
राष्ट्रीय स्तर पर साइबर क्रिमिनल्स की धरपकड़ और पर्दाफाश करने के लिए उत्तराखंड से निकली टीमों के संबंध में जानकारी देते हुए डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि उत्तर और मध्य भारत व पश्चिम बंगाल सहित संबंधित राज्यों की पुलिस से सामंजस्य बनाकर कार्रवाई चलायमान है.
200 से अधिक साइबर लंबित मामलों में गिरोहों और उनको संचालित करने वाले साइबर अपराधियों की धरपकड़ में सबसे बड़ी चुनौती उनके सही फोन नंबर न होने से लेकर Address और ठिकानों का सही ना होना है. इसके बावजूद अब आधुनिक और हाईटेक पुलिसिंग की मदद से प्रभावी शिकंजा कसने की कार्रवाई चल रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मिलने वाली गाइडलाइन और कई तरह के सहयोग से इस ऑपरेशन को सफल बनाने का प्रयास है.