देहरादून:सूबे का शिक्षा महकमा प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए बड़े-बड़े दावे और नई राष्ट्रीय नीति के तहत कई योजनाओं को धरातल पर उतारने की बात करता है, लेकिन हकीकत इससे कहीं जुदा है. इसका अंदेशा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षा निदेशालय की ओर एक माह पहले जारी आदेश पर अभी तक मंडल स्तर से कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई गई है. यही कारण है कि आज भी गढ़वाल मंडल में करीब 17 शिक्षक ऐसे सरकारी विद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जहां की छात्र संख्या शून्य है. यह शिक्षक हर रोज विद्यालय जाते हैं और अपना समय जैसे-तैसे काट कर वापस घर लौट आते हैं, जबकि यह शिक्षक भी अपने समायोजन की मांग निदेशालय से कर चुके हैं.
बता दें, बीती 18 मई को शिक्षा निदेशालय देहरादून की ओर से मंडलीय अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा पौड़ी को निर्देशित किया गया था कि मंडल के जिन सरकारी स्कूलों में किसी विषय या अन्य कारणों से छात्र संख्या शून्य है, तो उस स्कूल में तैनात शिक्षक को आवश्यकता अनुसार सबसे नजदीकी विद्यालय में समायोजित किया जाए, जिससे कि अन्य विद्यालय में छात्र-छात्राओं को इसका लाभ मिल सकें. इसके साथ ही जिन विद्यालय और विषयों में जहां छात्र संख्या शून्य है. वहां पर अगर दो शिक्षक तैनात हैं, तो शिक्षकों से उनकी इच्छा के अनुसार समायोजित किया जाए. लेकिन इस आदेश को एक माह से ऊपर का समय बीत गया है लेकिन मंडलीय स्तर पर कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है.