देहरादून: आज पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा है. शिक्षक दिवस देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में हमें और आपको वे शिक्षक याद आते हैं, जो कभी कान पकड़ कर उठक-बैठक करवाते थे या फिर छड़ी से पिटाई कर ज्ञान पिलाते थे. लेकिन आज हम आपको ऐसे शिक्षकों के बारे में बताने जा रहे हैं. जो न केवल एक सफल शिक्षक रहे बल्कि, राजनीति में उन्होंने अपना मुकाम बनाया है.
सबसे पहले बात करते हैं मोदी सरकार में HRD मिनिस्ट्री संभाल रहे डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' की. निशंक सक्रिय राजनीति में आने से पहले शिक्षक ही थे, उन्होंने साल 1982 में देहरादून स्थित जगमोहन सरस्वती शिशु मंदिर बतौर सहायक अध्यापक के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी. जिसके बाद वो जोशीमठ और श्रीनगर में भी कार्यरत रहे. और आज वे मानव संसाधन मंत्रालय जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
इसी कड़ी में दूसरा नाम इंदिरा हृदयेश का आता है. जो कांग्रेस की एक कद्दावर नेता है. और कांग्रेस शासनकाल में वित्त विभाग जैसे कई महत्त्वपूर्ण विभागों को संभाल चुकी है. इंदिरा हृदयेश उत्तरप्रदेश के समय में शिक्षकों के कोटे से एमएलसी भी रह चुकी हैं. वहीं, राज्य गठन के बाद साल 2002 में उत्तराखंड की राजनीति में सर्वाधिक पावरफुल मंत्री भी रहीं. और वर्तमान में वो नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रही हैं.
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शिक्षक से उत्तराखंड की राजनीति में मुकाम बनाने वालों में तीसरा नाम हरक सिंह रावत का है. जो त्रिवेंद्र सरकार में बतौर वन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. हरक सिंह रावत ने एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय से अपने करियर की शुरुआत की थी. बतौर शिक्षक हरक सिंह रावत बच्चों को पढ़ाते थे. और वर्तमान समय में हरक सिंह रावत बीजेपी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर है.
वहीं, भगवानपुर विधायक ममता राकेश भी राजनीति में कदम रखने से पहले शिक्षिका के रूप में शाहपुर विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के रूप में कार्यरत थी. ममता राकेश ने पति के निधन के बाद भगवानपुर सीट पर हुए उपचुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंची थी. और अब वर्तमान समय में वो कांग्रेस विधायक है. यही नहीं, उत्तराखंड राज्य के कई ऐसे शिक्षक और भी हैं. जिन्होंने सक्रिय राजनीति में मुकाम बनाया है. जो कि काबिले तारीफ है.
उत्तराखंड राज्य के कई ऐसे शिक्षक हैं जो सक्रिय राजनीति की राह पर चल पड़े. जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष रही मधु चौहान, चकराता विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि, इन्हें जीत नसीब नहीं हुई. इसके साथ ही साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव लड़ने के लिए शूरवीर लाल ने वीआरएस लेकर राजनीति में सक्रिय हुए और घनसाली से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा. प्रोफेसर जीतराम, यशपाल बेनाम, गंगा पंचोली, शैलारानी रावत समेत कई शिक्षक सक्रिय राजनीति में पहुंचे हैं.