देहरादून: कोरोना काल में पर्यटन गतिविधियों पर ब्रेक लगने की वजह से पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. ज्यादातर टैक्सी और कैब व्यवसाय से जुड़े लोगों का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. कोरोना के डर से लोग आवाजाही करने से बच रहे हैं. राजधानी देहरादून में करीब 10,000 से अधिक टैक्सी और कैब संचालक वर्तमान में आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.
दरअसल, हर साल मार्च से अगस्त के बीच में लाखों की तादाद में देश-विदेश के पर्यटक प्रदेश का रुख करते हैं. लेकिन वर्तमान में कोरोना की वजह से प्रशासन ने प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है, जिसका सीधा असर टैक्सी और कैब संचालकों पर साफ तौर पर पड़ा है. ऐसे में कई कैब कंपनियां वाहन का संचालक न होने के कारण चालकों को वेतन दे पाने की स्थिति में नहीं हैं. वहीं, अब तक कई कैब चालकों को काम से निकाला भी जा चुका है.
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देवभूमि टैक्सी ऑनर जन सेवा समिति के पूर्व अध्यक्ष राकेश सोनकर ने बताया कि कोरोनाकाल में पर्यटन गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. इसके कारण उनका व्यवसाय चौपट हो गया है. उन्होंने बताया कि 300 से ज्यादा कैब संचालक उनकी यूनियन से जुड़े हैं, जिन्हें हर महीने 80 हजार से 1 लाख रुपए तक का नुकसान हो रहा है. ऐसे में कैब संचालकों को हर महीने वेतन दे पाना संभव नहीं है. वर्तमान में कैब संचालक या तो अपना वाहन खुद चला रहे हैं, या फिर अपने वाहन का दस्तावेज आरटीओ कार्यालय में सरेंडर कर रहे हैं.
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कैब संचालक चंदर खंडूजा ने बताया कि उनकी अभी तक 5 कैब चलती थी. वैन चलाने के लिए उन्होंने ड्राइवर रखे थे. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से आमदनी पर ब्रेक लग गया है. आय न होने की वजह से उन्होंने मजबूर होकर अपने सभी कैब चालकों को हटा दिया है. वहीं, टैक्सी ऑनर जन सेवा समिति के सचिव अश्विनी ममगाईं का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि कैब व्यवसाय इस साल पटरी पर लौट सकेगा. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि सरकार टैक्सी चालकों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए इंश्योरेंस में कम से कम एक साल और टैक्स में 2 साल की छूट देनी चाहिए.