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पर्यावरण बचाने की पहल: उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों को अब प्लास्टिक कचरे पर देना होगा टैक्स

उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं से सरकार अब प्लास्टिक कचरे पर टैक्स वसूलेगी. यह टैक्स सरकार सीधे तौर पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं से नहीं वसूलेगी, बल्कि होटलों और धर्मशालाओं के कमरों के किराए के साथ वसूलेगी.

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Published : Jul 2, 2019, 2:33 PM IST

देहरादून:प्लास्टिक कचरा पर्यावरण को नुकसान तो पहुंचाता ही है, साथ ही गाय या अन्य पशुओं के लिए भी घातक है. उत्तराखंड के पर्यावरण मंत्री ने प्रदेश में पर्यावरण को बचाने के लिए देवभूमि में आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों से प्लास्टिक कचरा फैलाने की एवज में वेस्ट मैनेजमेंट टैक्स वसूल करने का मन बनाया है. सरकार पर्यटक से यह टैक्स सीधे वसूल न करते हुए होटल, धर्मशाला के जरिए वसूल करेगी. इसके लिए होटलों और धर्मशाला संचालकों को अवगत करा दिया गया है. पर्यटकों को दिए जाने वाले कमरों के किराए में इस टैक्स का उल्लेख किया जाएगा.

उत्तराखंड में प्लास्टिक कचरा एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि, उत्तराखंड पर्यटन और तीर्थाटन पर आधारित प्रदेश है, जहां लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आते हैं, तो वहीं कई पर्यटक साहसिक एडवेंचर्स जैसे राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, ट्रैकिंग, माउंटेनियरिंग का रोमांच उठाने यहां आते हैं. ऐसे में प्लास्टिक कचरे के रूप में कई मैट्रिक टन कचरा उन स्थानों पर छूट जाता है. जहां पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आमद होती है. ऐसे में पर्यावरण को बचाने के लिए पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने प्लास्टिक कचरे पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं से टैक्स वसूलने की बात कही है.

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हालांकि, इससे पहले भी पर्यावरण मंत्री कैबिनेट बैठक के दौरान पर्यावरण संतुलन को लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं. उन्होंने श्रीनगर से 21 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव गेहड़ जाकर यही संदेश देने की कोशिश की थी कि आज के समय में पर्यावरण को बचाना सभी की जिम्मेदारी है. इसी कड़ी में बीते सोमवार को हरक सिंह रावत ने एक कार्यक्रम में इसकी जानकारी दी है.

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